Uttarakhand Geography In Hindi | उत्तराखण्ड का भूगोल – Uttarakhand Gk In Hindi

Uttarakhand Geography In Hindi – उत्तराखंड का भूगोल बहुत ही विविध है Geography of Uttarakhand की इस पोस्ट में आज हम जानेंगे Uttarakhand ka bhugol जिसमें हम चर्चा krenge Uttarakhand ki bhogolil sanrachna की Uttarakhand ka bhogolik vibhajna व साथ ही साथ जानेंगे Uttarakhand ka bhogolik vistar,उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं Uttarakhand geography in hindi में हम इन सभी टॉपिक पर चर्चा करेंगे ।              यदि हमारे द्वारा दी गई इस जानकारी से आपको कुछ सीखने को मिलता है तो आप इस
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उत्तराखंड का भौगोलिक विस्तार व सरंचना
उत्तराखंड राज्य वृहत हिमालय क्षेत्र व गंगा के मैदानी क्षेत्र के बीच स्थित है उत्तराखंड राज्य का आकार आयताकार है।

उत्तराखंड का भौगोलिक विस्तार-
उत्तरी अक्षांश(North latitude=– 28º43′ से 31º27′ के मध्य अर्थात उत्तराखंड का उत्तरी अक्षांशीय(latitude) विस्तार 2º44 है।

पूर्वी देशांतर(East longitude) – 77º34′ से 81º02′ के मध्य अर्थात उत्तराखंड का देशांतरीय(longitude) विस्तार 3º28′ है।

  • पूर्व से पश्चिम तक राज्य की लंबाई- 358 Km
  • उत्तर से दक्षिण तक राज्य की चौड़ाई – 320 Km
  • उत्तराखंड का क्षेत्रफल – 53,483 वर्ग किमी
  • उत्तराखंड के कुल क्षेत्रफल का 86.07%(46035 वर्ग किमी) भाग पर्वतीय व 13.93%(7448 वर्ग किमी) भाग मैदानीय है।
  • भारत के पर्वतीय राज्यों में उत्तराखंड का क्रम-10वां
  • उत्तराखंड राज्य भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.69% है व क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखंड भारत का 18वां राज्य है।

नोट:- तेलंगाना राज्य बनने से पहले उत्तराखंड क्षेत्रफल
की दृष्टि से भारत का 18वां राज्य था जब 2014 में  तेलंगना राज्य बना तो
उत्तराखंड क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का 19वां राज्य बना लेकिन जैसे ही
जम्मू कश्मीर राज्य केंद्र शासित प्रदेश बना फिर उत्तराखंड क्षेत्रफल की
दृष्टि से भारत का 18 वां राज्य बन गया।

उत्तराखंड राज्य के जिलों का क्षेत्रफल-

1.चमोली        –   8030 वर्ग किमी
2.उत्तरकाशी   –   8016 वर्ग किमी
3.पिथौरागढ़   –   7110 वर्ग किमी
4.पौड़ी गढ़वाल –  5329 वर्ग किमी
5.टिहरी गढ़वाल – 4080 वर्ग किमी
6.नैनीताल      –   3860 वर्ग किमी
7.देहरादून      –   3088 वर्ग किमी
8.अल्मोड़ा     –    3082 वर्ग किमी
9.उधम सिंह नगर – 2542 वर्ग किमी
10.हरिद्वार।     –     2360 वर्ग किमी
11.बागेश्वर      –     2302 वर्ग किमी
12.रुद्रप्रयाग।  –     1984 वर्ग किमी
13.चंपावत।   –      1766 वर्ग किमी

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला – चमोली(8030 वर्ग किमी)
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखंड का सबसे छोटा जिला – चंपावत(1766 वर्ग किमी)

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उत्तराखंड राज्य की अंतराष्ट्रीय सीमाएं-
  • उत्तराखंड राज्य की पूर्वी व उत्तरी सीमा अंतराष्ट्रीय है।
  • उत्तराखंड राज्य की अंतराष्ट्रीय सीमा की लम्बाई- 625KM
  • उत्तराखंड की पूर्वी सीमा नेपाल से मिलती है व उत्तर में चीन(तिब्बत) से मिलती है।
  • उत्तराखंड की चीन से अंतराष्ट्रीय सीमा की लम्बाई-350Km
  • उत्तराखंड की नेपाल से अंतराष्ट्रीय सीमा की लंबाई – 275 Km
  • उत्तर में वृहत हिमालयी क्षेत्र व पूर्व में काली नदी राज्य की सीमा बनाती है।
  • राज्य के 3 जिले( उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ ) चीन से सीमा बनाते है व
    3 जिले (पिथौरागढ़, चम्पावत तथा ऊधम सिंग नगर) पूर्व में नेपाल से सीमा
    बनाते हैं।
  • राज्य के कुल 5 जिले(उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, चम्पावत व उ०सि०न०) अंतराष्ट्रीय सीमा बनाते हैं।

उत्तराखण्ड का भूगोल – Uttarakhand Gk In Hindi

उत्तराखंड राज्य की अन्य राज्यों के साथ सीमा-
  • उत्तराखंड दो राज्यों से सीमा बनाता है- पश्चिम में हिमाचल प्रदेश व दक्षिण में उत्तर प्रदेश।
  • राज्य के 2 जिले (उत्तरकाशी तथा देहरादून) हिमाचल प्रदेश से तथा 5
    जिले(देहरादून, हरिद्वार,पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल व उ०सि०न० उत्तर प्रदेश से
    सीमा बनाते हैं।
  • राज्य का सबसे उत्तरी जिला उत्तरकाशी।
  • राज्य का सबसे पूर्वी जिला- पिथौरागढ़.
  • राज्य का पश्चिमी जिला- देहरादून।
  • राज्य का दक्षिण जिला- उ०सि०न०।
  • पौड़ी जिले की सीमा सर्वाधिक 7 जिलों(हरिद्वार, देहरादून,टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा व नैनीताल) को स्पर्श करती है।
  • राज्य के 4 जिले(टिहरी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, अल्मोड़ा) पूर्णतया आंतरिक जिले हैं ये किसी भी देश अथवा राज्य से सीमा नहीं बनाते हैं।
  • सर्वाधिक लम्बी अंतराष्ट्रीय सीमा रखने वाला जिला – पिथौरागढ़।
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Uttarakhand Geography In Hindi – उत्तराखण्ड का भूगोल
उत्तराखंड राज्य का भौगोलिक विभाजन:-

उत्तराखंड राज्य को 8 भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है-

  1. ट्रांस हिमालयी क्षेत्र
  2. वृहत या उच्च हिमालयी क्षेत्र
  3. लघु या मध्य हिमालय क्षेत्र
  4. दून(द्वार) क्षेत्र
  5. शिवालिक क्षेत्र
  6. भाबर क्षेत्र
  7. तराई क्षेत्र
  8. गंगा का मैदानी क्षेत्र



1.ट्रांस हिमालय- ट्रांस का अर्थ होता है – के पार , अर्थात ‘
हिमालय के पार स्थित भू – भाग ‘ ट्रांस हिमालय कहलाता है इसका कुछ भाग
उत्तराखंड में तथा शेष तिब्बत में स्थित है |

  • इस क्षेत्र की चौड़ाई- 20 से 30 km
  • औसतन ऊंचाई- 2500-3500m
  • इस क्षेत्र में मुख्यतः तीन जिले आते है- उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़।
  • ट्रांस हिमालय व महान हिमालय के बीच फाल्ट लाइन(जो लाइन ट्रांस व महान हिमालय को अलग करती है)को”इंडो सांगको भ्रंश” कहते हैं।
  • इस क्षेत्र की पर्वत श्रेणियों को” जैंक्सर श्रेणी” कहते हैं।
  • उत्तराखंड के अधिकांश दर्रे इसी क्षेत्र में स्थित हैं।

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कैसे हुआ हिमालय का निर्माण-

भू-वैज्ञानिकों
के अनुसार जहाँ आज हिमालय है वहाँ पहले टिथिस नाम का सागर था इस सागर के
ऊपर(उत्तर में) अंगारा लैण्ड व नीचे( दक्षिण में)गोंडवाना लैण्ड था अंगारा
लैण्ड की कई नदियां टिथिस सागर में गिरती थी ये नदियां अपने साथ कई अवसाद
कण बहाकर लाती थी जिसके कारण टिथिस सागर में अवसाद कणों की परत बनने लगी
इसको बनने में कई साल लगे।
कुछ समय बाद अंगारा लैण्ड की यूरेशियाई
प्लेट व गोंडवाना लैण्ड की इंडिक प्लेट के खिसकने से बीच पर दबाव बढ़ गया
जिसके कारण बीच का क्षेत्र(टिथिस सागर का मलबा/अवसाद कण जो कि नदियों
द्वारा लाया गया था ) ऊपर उठ गया जिससे हिमालय का निर्माण हुआ।

 

2.वृहत या उच्च हिमालयी क्षेत्र या मुख्य हिमालय क्षेत्र-
  • यह क्षेत्र लघु हिमालय के उत्तर में व ट्रांस हिमालय के दक्षिण में स्थित है।
  • इसकी चौड़ाई- 15-30 km
  • औसतन ऊंचाई-6000-7000m
  • इस क्षेत्र की सबसे ऊंची पर्वत श्रखंला – नन्दादेवी पश्चिमी(7817m)
  • यह क्षेत्र उत्तराखंड के 6 जिलों में फैला हुआ है- उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी,रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व पिथोरागढ़
  • इस क्षेत्र ने विशाल हिमनद(ग्लेशियर) पाये जाते हैं-गंगोत्री, पिंडारी, मिलम ग्लेशियर।
  • विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी इसी क्षेत्र में हैं।
  • वृहत हिमालय व लघु हिमालय को अलग करने वाली फॉल्ट लाइन को Main central thrust (MCP मुख्य केंद्रीय भ्रंश) कहा जाता है.
  • इस क्षेत्र में 12-13 हजार फीट से ऊपर प्राकृतिक वनस्पतियों का नितांत
    अभाव है तथा 12-10 हजार फीट के बीच झाड़ियां व  घास के मैदान पाये जाते हैं व
    10 हजार फीट के नीचे फर,चीड़ साल, सागौन आदि के पेड़ पाये जाते हैं।
  • यहां के मूल निवासी भोटिया लोग ग्रीष्मकालीन में इस क्षेत्र में जो,गेंहू, मक्का आदि की खेती करते हैं।

महाहिमालय के प्रमुख पर्वत शिखर-
चमोली जिले में स्थित पर्वत शिखर-
शिखर         ऊंचाई मीटर में        जनपद
नन्दादेवी         7,817        चमोली
कामेट            7756           ”
माणा             7,272         ”
बद्रिनाथ         7,140          ”
चौखम्बा         7,138           ”
त्रिशूल            7,120          ”
संतोपथ         7,084            ”
द्रोणागिरी        7066          ”
गंधमादन         6984          ”
कालोंका          6931         ”
हाथीपर्वत        6727          ”
देवस्थान          6,678         ”
नन्दाखाट         6674         ”
नीलकंठ           6597        ”
नंदाघुँघटि         6309        ”
गौरी                6250        ”
नारायण पर्वत    5965        ”
नरपर्वत            5831        ”
जैलंग               5871       ”

उत्तरकाशी जिले में स्थित पर्वत शिखर-
भागीरथी       6856
श्रीकंठ          6728
गंगोत्री           6672
यमुनोत्री        6400
बंदरपूंछ        6320

चमोली व पिथौरागढ़ में स्थित पर्वत शिखर-
नन्दादेवी पूर्वी       7434
नंदाकोट              6861
गुन्नी                    6180

चमोली-उत्तरकाशी में स्थित पर्वत शिखर-
केदारनाथ         6968
स्वर्गारोहनी        6252

Uttarakhand Ka Bhugol

3.लघु या मध्य हिमालयी क्षेत्र-

  • आशिंक हिमाच्छादित होने के कारण इस क्षेत्र को हिमंचल या हिम का आंचल भी कहा जाता है।
  • यह क्षेत्र दून क्षेत्र के उत्तर व वृहत हिमालयी क्षेत्र के दक्षिण में
    पाया जाता है यह क्षेत्र देहरादून, उत्तरकाशी, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग,
    चमोली, नैनिताल, अल्मोड़ा, चम्पावत आदि 9 जिलों तक विस्तारित है।
  • इस क्षेत्र को चौड़ाई-70 से 100 km तक है व औसतन ऊंचाई 1200 से 4500 मीटर है।
  • लघु हिमालय व शिवालिक क्षेत्र अलग करने वाली फाल्ट लाइन Maine boundary thrust(MBT मुख्य सीमा भ्रंश) कहलाती है।
  • इस क्षेत्र में तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम, मैग्नेसाइट आदि खनिज पाये जाते हैं।
  • इस हिमालयी क्षेत्र से सरयू, रामगंगा, लधिया, नयार आदि नदियां निकलती हैं।
  • इस क्षेत्र के दक्षिणी भाग में अनेक ताल पाये जाते हैं-नोकुछिया ताल, सातताल, भीमताल, खुरपाताल, पूनाताल,आदि।
  • मध्य हिमालयी क्षेत्र की पर्वत श्रेणियों की ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाये जाते हैं जिन्हें बुग्याल व पयार कहा जाता है।
  • इस क्षेत्र की घाटियों में धान, ज्वार, मक्का, गेंहू आदि की खेती की जाती है।
  • इस क्षेत्र का लगभग 45-60% भाग वनाच्छादित है इस क्षेत्र में शीतोष्ण
    कटिबंधीय प्रकार के कोणधारी सघन वन पाये जाते हैं जिनमें चीड़, फर, देवदार,
    साल, प्रमुख हैं।

मध्य हिमालय की प्रमुख श्रेणियां(Hill station)-
1.द्रोणागिरी – चमोली
2.सुरकण्डा – टिहरी
3.चंद्रबदनी – टिहरी
4.रानीखेत – अल्मोड़ा
5.लालटिब्बा- मसूरी
6.देववन – देहरादून(चकराता)
7.दूधातोली – चमोली, पौड़ी व अल्मोड़ा


उत्तराखंड का पामीर-
चमोली, पौड़ी व अल्मोड़ा जिलों के मध्य
फैली दूधातोली श्रखंला को उत्तराखंड का पामीर कहा जाता है यह श्रखंला लघु
हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत आती है

यहाँ से 5 नदियों का उदगम होता है-
पश्चिमी रामगंगा, पश्चिमी नयार, पूर्वी नयार, आटागाड़ तथा वूनों
इसी श्रखंला में कोदियाबगड़ में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की समाधि स्थित है और यहां प्रतिवर्ष 12 जून बको उनकी याद में मेला भी लगता है
गैरसैण(चमोली) इसी क्षेत्र में है
इस श्रेणी में बांज,चीड़, कैल आदि के सघन वन हैं

4.दून(द्वार) क्षेत्र-

  • शिवालिक क्षेत्र व मध्य हिमालय के बीच पाया जाने वाला यह क्षेत्र
    दून(द्वार) क्षेत्र कहलाता है इस क्षेत्र में ऊंची घाटियां व पहाड़ियां पायी
    जाती हैं।
  • दून(द्वार) क्षेत्र की चौड़ाई-24-32 Km है।
  • इस क्षेत्र की पहाड़ी व घाटियों की ऊंचाई-350 से 750 m है।
  • इस क्षेत्र के पश्चिम भाग को “दून” व पूर्वी भाग को “द्वार” कहा जाता है।
  • इस क्षेत्र में धान की फसल सबसे अच्छी होती है।
  • इस क्षेत्र में देहरादून, कोठारी व चोखम(पौड़ी) ,कोटा(नैनीताल) आदि राज्य के प्रमुख क्षेत्र आते हैं।
  • इस क्षेत्र में 75 km लम्बा व 24 से 32 km चोड़ा  देहरादून सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र है।
  • इस क्षेत्र में मानव जनघनत्व अधिक पाया जाता है।

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5.शिवालिक क्षेत्र-

  • इस क्षेत्र में छोटी छोटी,ऊंची-नीची  पर्वत पहाड़ियां पायी जाती हैं।
  • इस क्षेत्र को बाह्य हिमालय या हिमालय का पाद भी कहा जाता है यह पर्वत श्रेणी हिमालय के सबसे बाहरी(दक्षिण) छोर पर स्थित है।
  • शिवालिक क्षेत्र की चौड़ाई- 10-50KM
  • इस क्षेत्र के पर्वत श्रृंखला की चोटियों की ऊंचाई- 700 से 1200 मीटर
  • शिवालिक क्षेत्र व भाबर क्षेत्र को अलग करने वाली फाल्ट लाइन को HFF-himalayan frunt galt(हिमालयन अग्र सीमा) कहा जाता है।
  • यह क्षेत्र हिमालय का सबसे नवीन भाग है जिसका निर्माण 1.75 लाख से 3
    करोड़ वर्ष पूर्व हुआ इसका निर्माणकाल मायोसीन युग से प्लाइस्टोसीन युग तक
    माना गया है।
  • इस श्रेणी के नवीन होने के कारण इसमें जीवाश्म मिलते हैं।
  • इस क्षेत्र में अधिकांश पर्यटन केंद्र हैं।
  • इस क्षेत्र का ग्रीष्मकालीन तापक्रम 29.4 से 32.80 डिग्री सेंटीग्रेड है तथा शीतकालीन तापमान 4.40 से 7.20 डिग्री सेंटीग्रेड है।
  • औसत वार्षिक वर्षा- 200 से 250 cm
  • इस क्षेत्र के अंतर्गत दक्षिणी देहरादून,दक्षिण उतरी हरिद्वार, दक्षिण
    टिहरी, मध्यवर्ती पौड़ी, दक्षिण अल्मोड़ा, मध्यवर्ती नैनीताल व दक्षिण
    चम्पावत आदि 7 जिले आते हैं आते हैं।

Uttarakhand Ka Bhogolik Parichay

6.भाबर क्षेत्र-

  • इस क्षेत्र की भूमि उबड़-खाबड़ व मोटे-मोटे कंकड़, मिट्टी बालू युक्त है।
  • यह क्षेत्र तराई क्षेत्र की उत्तर में व शिवालिक क्षेत्र के दक्षिण में है।
  • इस क्षेत्र की चौड़ाई- 10-12 KM
  • यह क्षेत्र कृषि के लिये अनुपयुक्त है इस क्षेत्र में जंगली झाड़ियां एवं अन्य प्राकृतिक वनस्पतियां पायी जाती हैं।
  • लेकिन यहां की उबड़ खाबड़ भूमि को यहां के लोग कृषि योग्य बनाकर खेती कर लेते हैं।

7.तराई क्षेत्र-

  • यह
    क्षेत्र भी नदियों द्वारा लाये गये महीन कणों वाली अवसादों से बना हुआ है
    लेकिन इस क्षेत्र में वर्षा अधिक होने के कारण यह भूमि ढलान(तराई) व दलदली
    है।
  • हरिद्वार में गंगा के मैदानी क्षेत्र के उत्तर में व पौड़ी गढ़वाल
    तथा नैनीताल जिलों के दक्षिण क्षेत्र व उ०सि०नगर जिले के अधिकांश क्षेत्र
    को तराई क्षेत्र कहा जाता है।
  • इस क्षेत्र का विस्तार- 20-30 KM
  • उत्पादित फसलें- अधिक वर्षा होने के कारण अधिक पानी चाहने वाली फसलों का उत्पादन अधिक होता है जैसे- धान, गन्ना।
  • इस क्षेत्र में पातालतोड़ कुएँ पाये जाते हैं।



8.गंगा का मैदानी क्षेत्र-

    • यह क्षेत्र गंगा के समतल मैदानी क्षेत्र का हिस्सा है। इस क्षेत्र का
      निर्माण गंगा व आदि नदियों द्वारा प्रवाह में लाये गये महीन छोटे-छोटे कणों
      वाले अवसाद(मिट्टी, कीचड़ तथा बालू) से हुआ है।
    • इस क्षेत्र में दो प्रकार की मिट्टी पायी जाती है-
  • 1.बांगर- पुरानी जलोढ़ मिट्टी
  • 2.खादर-नवीन जलोढ़ मिट्टी
  • इस क्षेत्र में होने वाली फसलें- धान,गेंहू,गन्ना आदि
  • इस क्षेत्र में दक्षिणी हरिद्वार का अधिकांश भाग,लक्सर,रुड़की आदि इसी क्षेत्र में आते हैं।
 उत्तराखंड भौगोलिक सरंचना व भौगोलिक विभाजन MCQ

Q1- ट्रांस हिमालय व उच्च हिमालय को अलग करने वाली फाल्ट लाइन कहलाती है-
A.मुख्य केंद्रीय भ्रंश.         B.इंडो सांगको भ्रंश
C.मुख्य सीमा भ्रंश.          D.हिमालयन अग्र सीमाAns- B


Q2- उत्तराखंड का सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला जिला-
A.चमोली.         B.उत्तरकाशी
C.पिथौरागढ़      D पौड़ी गढ़वालAns- A


Q-3 उत्तराखंड के किस भाग में पातालतोड़ कुँए पाये जाते हैं-
A.शिवालिक क्षेत्र         B.भाबर क्षेत्र
C.तराई क्षेत्र                D दून क्षेत्रAns- C


Q4- पूर्व से पश्चिम तक उत्तराखंड राज्य की लंबाई है-
A.358Km                B.350Km
C.320Km                D.345KmAns- A


Q5-उत्तराखंड राज्य का कितना प्रतिशत भाग पर्वतीय है-
A.85.00%             B.84.63%
C.86.07%             D.85.38%Ans- C


Q6- उत्तराखंड की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है-
A.नन्दादेवी             B.कामेट
C.नंदाकोट             D.माणाAns- A


Q7- स्वर्गारोहणी पर्वत शिखर किस जिले में है-
A.पिथौरागढ़           B.उत्तरकाशी
C.टिहरी                  D.बागेश्वरAns- B


Q8- सुरकण्डा पर्वत श्रेणी किस क्षेत्र का अंग है-
A.वृहत हिमालय             B.मध्य हिमालय
C.बाह्य हिमालय              D.महान हिमालयAns- B


Q9- निम्न में से किस हिमालय का अधिकांश भाग वर्ष भर हिमाच्छादित रहता है-
A.ट्रांस हिमालय                B.मध्य हिमालय
C.महान हिमालय             D.बाह्य हिमालयAns- C


Q10- उत्तराखंड के कितने जिले उत्तर प्रदेश से सीमा बनाते हैं
A.3                           B.2
C.5                           D.4Ans-C


Q11-कामेट पर्वत शिखर की ऊंचाई है-
A.7817m             B.7756m
C.7434m            D.7272mAns-B


Q12- राज्य की सर्वाधिक ऊंचाई वाली अधिकांश पर्वत चोटियां स्थित हैं-
A.चमोली                  B.उत्तरकाशी
C.पिथौरागढ़              D.बागेश्वरAns- A


Q13- गैरसैंण किस पर्वत श्रेणी में स्थित है-
A.दूधातोली            B.द्रोणगिरि
C.नंदखाट               D.देववनAns- A


Q14- मध्य हिमालय क्षेत्र कितने जिलों में फैला हुआ है-
A.6                 B.7
C.8                   D.9Ans- D


Q15- उत्तराखंड राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई-
A.623Km             B.625Km
C.630Km             D.650KmAns- B


Q16- विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी स्थित है-
A.शिवालिक क्षेत्र में           B.ट्रांस हिमालय
C.मध्य हिमालय                D वृहत हिमालयAns- D


Q17- उत्तराखंड का पामीर (दूधातोली श्रेणी) अंग है-
A.शिवालिक क्षेत्र का             B.वृहत हिमालय का
C.मध्य हिमालय का              D.महान हिमालयAns- C


Q18- राज्य में मुख्य केंद्रीय भ्रंश रेखा स्थित है-
A.वृहत हिमालय के उत्तर में                B.बाह्य हिमालय बीके दक्षिण में
C.मध्य एवं बाह्य हिमालय के मध्य         D वृहत एवं मध्य हिमालयAns- D


Q19- सर्वाधिक अंतराष्ट्रीय सीमा रखने वाला जिला कौन सा है-
A.पिथौरागढ़                    B.चमोली
C.उत्तरकाशी                    D.चम्पावतAns- A


Q20- हिमालय का सबसे नवीन क्षेत्र कहा जाता है-
A.मध्य हिमालय               B.लघु हिमालय
C.वृहत हिमालय              D.शिवालिक क्षेत्रAns- D


Q21- निम्न में राज्य का कौन सा जिला पूर्णतः आन्तरिक है
A.पौड़ी                    B.टिहरी
C.नैनीताल               D.चम्पावतAns- B


Q22- सर्वाधिक मानव जनघनत्व किस क्षेत्र में पाया जाता है-
A.शिवालिक               B.दून(द्वार)
C.तराई                      D.मध्य हिमालयAns-B


Q23- उत्तराखंड का न्यूनतम क्षेत्रफल वाला जिला कौन सा है-
A.चम्पावत                B.रुद्रप्रयाग
C.नैनीताल                D.उ०सि०न०Ans- A


Q24- बंदरपूंछ पर्वत शिखर किस जिले में है-
A.उत्तरकाशी                  B.चमोली
C.टिहरी                         D.पिथोरागढ़Ans- A


Q25- उत्तराखंड राज्य के कुल कितने जिले अंतराष्ट्रीय सीमा बनाते हैं
A.3                    B.4
C.5                    D 6Ans-C


Q26- राज्य के किस जिले की सीमा सर्वाधिक जिलों को स्पर्श करती है-
A.चमोली               B.पौड़ी
C.अल्मोड़ा              D.टिहरीAns- B


मुझे उम्मीद है कि Uttarakhand Geography In Hindi | उत्तराखण्ड का भूगोल – Uttarakhand Gk In Hindi के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी। उत्तराखंड के बारे में ऐसे ही Uttarakhand Gk In Hindi की आपको बहुत सी पोस्ट JardhariClasses.Com में देखने को मिल जयेगी जिन्हें आप पढ़ सकते हैं

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