Uttarakhand General Knowledge गढ़वाल के परमार(पंवार) वंश के प्रमुख राजा
Uttarakhand History In Hindi
- ललितशाह प्रदीप शाह का पुत्र था।
- यह चंद राजा दीप चंद का समकालीन था।
- ललितशाह को हर्षदेव जोशी ने कुमाऊँ पर आक्रमण करने के लिये आमंत्रित किया।
- बग्वाली पोखर युद्ध(1777)- कुमाऊँ व गढ़वाल सेनाओं के बीच।
- कुमाऊँ सेना का नेतृत्व(मोहन सिंह रौतेला(मोहन चंद) कर रहा था व गढ़वाल सेना का नेतृत्व ललितशाह ने किया।
- इस युद्ध मे ललित शाह विजयी रहे।
- ललित शाह ने अपने पुत्र प्रद्युम्न शाह को कुमाँऊ का राजा बनाया।
- ललितशाह जब कुमाँऊ अभियान से लौट रहे थे तो गनाई गिवाड़ दुलड़ी नामक स्थान पर मलेरिया बीके कारण इनकी म्रत्यु हो गयी।
जयकृत शाह(1780-1786-
- जयकृत शाह ललितशाह का पुत्र व प्रद्युम्न शाह का सौतेले भाई था।
- 1780 में प्रद्युम्न शाह व जयकृत शाह के बीच पहला आक्रमण हुआ।
- कपरोली का युद्ध(1785)-
- गढ़वाल सेना,सिरमौर शासक(जगत प्रकाश) व प्रधुम्न शाह,पराक्रम शाह के बीच इस युद्ध मे गढ़वाल सेना विजयी रही।
- जोश्याणी कांड(1785)- हर्षदेव जोशी ने गढ़वाल पर आक्रमण किया व गढ़वाल के कई हिस्सों में लूट पाट व अत्याचार किये।
प्रद्युम्न शाह(1786-1804)
- जयकृत शाह की मृत्यु के बाद प्रद्युम्न शाह कुमाँऊ का राज छोड़कर 1786 में गढ़वाल का शासक बना।
- गढ़वाल व कुमाँऊ में शासन करने वाला पहला शासक-प्रद्युम्न शाह।
- सम्पूर्ण गढ़ कुमाँऊ में शासन करने वाला पहला शासक – प्रद्युम्न शाह।
- गढ़वाल का शासक बनने पर प्रद्युम्न शाह के भाई पराक्रम शाह ने प्रद्युम्न शाह के विरुद्ध विद्रोह किया।
- मोलाराम ने अपनी पुस्तक गढ़ जीता संग्राम/गणिका नाटक में पराक्रम शाह के
विद्रोह का विवरण किया है व पराक्रम शाह को विलासी,दुराचारी एवं चरित्रहीन
राजकुमार बताया है। - प्रद्युम्न शाह के गढ़वाल आने पर कुमाँऊ की राजगद्दी हर्षदेव जोशी ने संभाली।
- हर्षदेव जोशी व मोहन चंद के बीच हुआ जिसमें मोहन चंद विजयी रहा व कुमाँऊ के सिंहासन पर बैठा।
- 1788 में फिर से हर्षदेव जोशी ने मोहन चंद के विरुद्ध आक्रमण किया व विजयी रहा इस युद्ध मे मोहन चंद की मृत्यु हुई।
- हर्षदेव जोशी ने अपने विश्वसनीय शिव चंद को सिहांसन पर बिठाया।
- महेंद्र चंद व शिव चंद के बीच युद्ध हुआ जिसमें शिव चंद हार गया व कुमाँऊ के सिहांसन पर महेंद्र चंद बैठा।
- 1790 में हर्षदेव जोशी के निमंत्रण पर गोरखाओं ने हवालाबाग युद्ध मे
महेंद्र सिंह को हराकर कुमाँऊ पर अधिकार कर लिया इस प्रकार कुमाऊँ में चंद
वंश का अंत हो गया। - 1791ई० में गढ़वाल पर प्रथम गोरखा युद्ध(लंगुरगढ़ युद्ध) हुआ।
- 1795ई० गढ़वाल में भयंकर अकाल पड़ा।
- 1 सितम्बर 1803 में गढ़वाल का सबसे विनाशकारी भूकंप(9.0 तीव्रता, बद्रीनाथ) आया।
- 1803 ई० में गढ़वाल पर द्वितीय गोरखा युद्ध बाड़हाट युद्ध(उत्तरकाशी) में हुआ ।
- गढ़वाल व गोरखा सेना के बीच तीसरा युद्ध चमुआ(चम्बा ) में हुआ।
- 14 मई 1804ई० को खुदबुड़ा नमक मैदान(देहरादून) में गोरखा सेना व गढ़वाल
सेना फिर एक बार आमने सामने थी इस युद्ध मे गढ़वाल शासक प्रद्युम्न शाह
वीरगति को प्राप्त हो गये और इस युद्ध के पश्चात सम्पूर्ण गढ़वाल व कुमाँऊ
पर गोरखा शासन स्थापित हो गया। - गोरखाओं से लड़ाई लड़ने के लिये प्रद्युम्न शाह ने अपना राज सिहांसन सारनपुर में बेचा।
- श्री डबराल ने प्रद्युम्न शाह के शासन काल को कुशासन एवं निर्धनता की खोह में डूबा हुआ बताया।
सुदर्शन शाह(1815-1859)(55 वां राजा)-
- सुदर्शन शाह गढ़वाल में पंवार वंश का 55 वां राजा था।
- सुदर्शन शाह टिहरी रियासत के प्रथम शासक था।
- सुदर्शन शाह के शासनकाल में गढ़वाल का विभाजन(1815) हुआ व इसने राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानन्तरित की।
खलंगा का युद्ध(1814) –
गोरखाओं व अंग्रेजों के मध्य
कर्नल
निकोलस और कर्नल गार्डनर ने अप्रैल 1815 में कुमाऊँ के अल्मोड़ा को तथा
जनरल ऑक्टरलोनी ने 15 मई , 1815 को वीर गोरखा सरदार अमरसिंह थापा से मलॉब
का किला जीत लिया
- गोरखाओं व अंग्रेजो के मध्य
- गोरखाओं ने अपनी दक्षिणी सीमा के किनारे की निचली भूमि से अपना दावा छोड़ना स्वीकार किया॰
- गढ़वाल और कुमाऊँ के जिले अंग्रेजो को सौंप दिये गये।
- गोरखे सिक्किम से हट गए तथा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजीमेंट रखना स्वीकार किया॥
- गोरखाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती करने पर सहमति हुई।
- 28 दिसम्बर 1815 को सुदर्शन शाह ने राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थान्तरित की।
- सुदर्शन
शाह ने त्रिखण्डिय भवन(पुराना दरबार) का निर्माण टिहरी में कराया जिसको
बनाने में 30 वर्ष का समय लगा जो कि 1848 में निर्मित हुआ। - सुदर्शन शाह केशासन काल मे 6 फरवरी 1819 को अंग्रेजी पर्यटक मूरक्राफ्ट टिहरी रियासत आया।
- 1857 के विद्रोह के समय सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों की मदद की इस समय गढ़वाल व किना का कमिश्नर हेनरी रैमजे था।
- सुदर्शन शाह ने सभासार ग्रन्थ की रचना कि जिसमें 7 खंड हैं।
- सुदर्शन शाह को सूरत कवि भी कहते हैं।
- सुदर्शन शाह का राजकवि – हरिदत्त शर्मा।
- सुदर्शनोदय काव्य – कुमुचानन्द।
- सुदर्शनन्दर्शन कविता पुस्तक – मोलाराम।
Uttarakhand General Knowledge गढ़वाल के परमार(पंवार) वंश के प्रमुख राजा
भवानिशाह(1859-1871)
- भवानिशाह पंवार वंश का 56 वां राजा था व सुदर्शन शाह का ज्येष्ट पुत्र था।
- 1861 में कमिश्नर हेनरी रैमजे ने बारह आना बीसी भूमि ब्यवस्था लागू की।
- 1862 ई में देवप्रयाग में एक संस्कृत हिंदी पाठशाला खोली गयी।
प्रताप शाह(1871-1886)-
- प्रताप शाह पंवार वंश का 57 वां राजा था।
- प्रताप शाह ऐसा प्रथम शासक था जिसने टिहरी में अंग्रेजी शिक्षा की शुरूआत की।
- प्रताप शाह ने 1883 में अंग्रेजी स्कूल की स्थापना की यह 8th class तक था।
- प्रताप हाईस्कूल – कीर्ति शाह।
- प्रताप इंटर कॉलेज टिहरी – हर शाह(1940)।
- प्रताप शाह का सलाहकार – बद्रीदत्त पैन्यूली।
- प्रताप शाह प्रथम राजा था जिसने टिहरी में प्रिंटिंग प्रेस खोला व इसका नाम प्रताप प्रिंटिग प्रेस रखा.
- प्रताप शाह ने 1877 में प्रताप नगर की स्थापना की।
- टिहरी में प्रथम अस्पताल(1883) की स्थापना प्रताप शाह के शासन काल में हुई।
कीर्ति शाह(1886-1913)
- कीर्ति शाह पंवार वंश का 58 वां राजा था।
- कीर्ति शाह की सरंक्षिका गुलेरिया रानी कुन्दन देवी थी(1892 तक)।
- टिहरी में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ,रंगनाथ व गंगामाता मंदिरों का निर्माण रानी गुलेरिया देवी ने कराया।
- 1892 को गुलेरिया रानी देवी ने कीर्तिशाह को राज्यभार सौंप दिया व स्वयं सन्यास ले लिया।
- कीर्ति शाह को पंवार राजवंश के सबसे योग्य व जनता का प्रिय शासक भी माना जाता है।
- अंग्रेजो ने कीर्ति शाह को CSI(कमांडर स्टेट ऑफ इंडिया 1903), Sir व कंपोनिया ऑफ इंडिया (1898) आदि उपाधि दी।
- लार्ड लैंसडोन 1892 में घोषणा की ” भारतीय राजाओं को कीर्ति शाह को अपना आदर्श मानना चाहिए व उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए “।
- कैम्पबेल(1907) के कहा कीर्तिशाह जैसा राजा मैंने पूरे भारत मे नहीं पाया।
- भक्तदर्शन में कीर्ति शाह को राजश्री की उपाधि दी गयी है।
- कीर्तिशाह 1900 ई में इंग्लैंड गये जहां उन्हें 11 तोपों की सलामी दी गयी।
कीर्ति शाह के प्रमुख निर्माण कार्य-
- कीर्ति शाह ने टिहरी मेंटिहरी प्रताप हाइस्कूल(1891) स्थापित किया,1907
में कैम्पबेल बोडिंग हाउस व 1909 में हिबेट संस्कृत पाठ्शाला की स्थापना
की। - कीर्ति शाह ने श्रीनगर स्थित राजकीय विद्यालय छात्रावास श्रीनगर का निर्माण कराया व 3000 रु दान में दिये
- टिहरी में नगरपालिका की स्थापना की।
- उत्तरकाशी में कुष्ट आश्रम स्थापित किया।
- कीर्तिशाह ने टिहरी में बैंक ऑफ गढ़वाल की स्थापना की।
- टिहरी में 1898 में महारानी विक्टोरिया के जन्म दिन पर घंटाघर की स्थापना की।
- टिहरी में 1897 ई में नया राजभवन का निर्माण कीर्तिशाह ने कराया।
- कीर्तिनगर शहर की स्थापना कीर्ति शाह ने की।
- कीर्तिशाह के शासन काल मे जनता को प्रथम बार बिजली की सुविधा प्राप्त हुई।
- कीर्तिशाह ने एक पत्रिका रियासत टिहरी गढ़वाल दरबार गैजेट प्रकाशित किया।
- कीर्ति शाह ने 1902 ने टिहरी में सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन कराया।
- 1902 ई में स्वामी रामतीर्थ का टिहरी में आगमन हुआ कीर्ति शाह ने
स्वामी रामतीर्थ को जापान में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक सम्मेलन में हिस्सा
लेने के लिये भेजा। - 1913 ई० में कीर्ति शाह की मृत्यु हो गयी।
नरेंद्र शाह(1913-1946)
- परमार वंश के 59वें राजा।
- नरेंद्र शाह 15 वर्ष की उम्र में राजगद्दी पर बैठे।
- nrendr शाह की सरंक्षिका राजमाता नेपोलिया थी।
नरेंद्र शाह के शासन काल की प्रमुख स्थापना-
- 1919 ई० में पंचायतों की स्थापना।
- 1920 ई० कृषि बैंक की स्थापना व छात्रविति निधि की स्थापन ।
- 1921 ई०
- देवलगढ़ यात्रा व कुलदेवी राजराजेश्वरी मन्दिर का जीर्णोद्धार।
- नरेंद्र नगर की स्थापना।
- टिहरी में प्रथम बार जनगणना की गयी।
- 1923 ई०-
- टिहरी में आधुनिक चिकित्सालय।
- राज्य प्रतिनिधि सभा की स्थापना।
- सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना।
- 1924 ई०
- नरेंद्रनगर में राजभवन का निर्माण।
- 1925 ई० में नरेंद्रनगर को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये।
- 1940 ई० में प्रताप इंटर कॉलेज की स्थापना।
- 1942 ई० में कन्या पाठशाला की स्थापना।
नरेंद्र शाह को दी गयी प्रमुख उपाधियां –
- अलंकारी व लेफ्टिनेंट की उपाधि ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी।
- L.L.D की उपाधि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा दी गयी।
- नरेंद्र शाह को परमार वंश का शेरशाह सूरी भी कहा जाता है क्योंकि इसने अपने राज्य में सड़कों का प्रसार किया।
नरेंद्र शाह के शासन काल मे घटित प्रमुख घटनाएं –
1.रंवाई काण्ड/तिलाड़ी काण्ड –
- 30 मई 1930 को यमुना नदी के किनारे कुछ आंदोलनकारी वन संबंधी आंदोलन का
विरोध कर रहे थे इन आंदोलनकारियों पर नरेंद्र शाह के दीवान चक्रधर जुयाल
ने गोली चलवाई। - इस घटना को उत्तराखंड का जलियांवाला बाग हत्याकांड भी कहा जाता है जबकि चक्रधर जुयाल को उत्तराखंड का जनरल डायर कहा जाता है।
2.श्री देव सुमन की मृत्यु –
- 25 जुलाई 1944 ई० को श्री देव सुमन की मृत्यु नरेंद्र शाह के शासन काल मे हुई।
- 1946 ई० को नरेंद्र शाह ने त्यागपत्र दिया व अपने पुत्र मानवेन्द्र शाह को राजा बनाया।
- 22 सितम्बर 1950 ई० को नरेंद्र शाह की मृत्यु हो गयी।
मानवेन्द्र शाह(1946-1949 ई०)-
मानवेन्द्र शाह पंवार वंश व टिहरी रियासत का अंतिम राजा थे
मानवेन्द्र शाह के पिता का नाम नरेंद्र शाह व माता का नाम इंदुमती शाह था।
प्रमुख घटनाएं –
अगस्त समझौता(19 अगस्त 1946ई०) –
अगस्त समझौता टिहरी दरबार व प्रजामण्डल के मध्य हुआ इसके तहत प्रजामण्डल के
बन्दी बनाये गये सदस्यों को मुक्त किया जाएगा व प्रजामंडल के कार्यो में
बाधा नहीं डाली जाये।
सकलाना विद्रोह(1946-47)-
प्रमुख जन आंदोलन
कीर्तिनगर आन्दोल(1948)-
- इस आंदोलन में मोलूराम व नागेंद्र सकलानी शाहिद हो गये।
- 15 jan 1949 को मानवेन्द्र शाह ने प्रजामंडल की मांग स्वीकार की।
- 1 Agu 1949 को टिहरी का विलय भारत मे उत्तर प्रदेश के 50वें जिले के रूप में हुआ।
- मानवेन्द्र शाह 1959 से 2004 तक टिहरी गढ़वाल से 8 बार सांसद निर्वाचित हुए।
- 5 jan 2007 को मानवेन्द्र शाह की मृत्यु हो गयी।
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