उत्तराखंड वन अधिनियम | वन नीति, वन आंदोलन | वन्य जीव – Forest Act And Regulations

उत्तराखंड वन अधिनियम – वन मानव जीवन ही नहीं सभी जीव जन्तुओं के लिए जीवनदायी है इसलिए वनों की सुरक्षा व संरक्षण मानव का पहला कर्तव्य होना चाहिए वनों के सुरक्षा व संरक्षण के लिए भारत में समय समय पर कई नियम कानून व योजनाएं बनाई गयी । उत्तराखण्ड का 65% भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है । उत्तराखण्ड में भी समय समय पर वन नीतियाँ एवं अधिनियम बनाए गए हैं ।

उत्तराखंड वन अधिनियम | वन नीति, वन आंदोलन | वन्य जीव - Forest Act And Regulations
 उत्तराखंड वन अधिनियम

Forest Act And Regulations

इतिहास-

भारतीय वन विभाग :-
  • 1864 ई० में भारतीय वन विभाग की स्थापना की गयी जिसके प्रथम महानिरीक्षक डीट्रिच ब्रेंडिस को बनाया गया।
  • 1864 में Imperial Forest Service की स्थापना की गयी।
  • 1867 में Imperial Forest Service का प्रथम बार Exam हुआ।

भारतीय वन अधिनियम-


भारतीय वन अधिनियम 1865:-
  • भारत में 1865 ई० में वनों से संबंधित
    पहला कानून भारतीय वन अधिनियम लागू किया गया इसके तहत सभी वन सरकार के
    अधिकार में आ गए थे वह वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगा दी गई थी।
  • 1868 में कुमाऊँ में वन विभाग की स्थापना हुई।
  • 1869 ई० में गढ़वाल में वन विभाग की स्थापना हुई।
  • 1885 ई० में टिहरी में वन विभाग की स्थापना हुई जिसके प्रथम अध्यक्ष पंडित केशवानन्द थे।


भारतीय वन अधिनियम 1878-
  • यह अधिनियम भारतीय वन अधिनियम 1865 में प्रथम संशोधन करके बनाया गया।

राष्ट्रीय वन अधिनियम 1878 के तहत वनों को दो भागों में बांटा गया था-

1.Reserved Forest(आरक्षित वन)
2. Protected Forest (संरक्षित वन)

  • राष्ट्रीय वन अधिनियम 1878 में टिम्बर(इमारती) लड़की पर टैक्स लगाना शुरू किया गया।

F.R.I ( Forest Research Institute )
  • 1878 ई० में भारत के प्रथम Forest
    School की स्थापना(Forest school of dehradun) देहरादून में की गयी जिसके
    संस्थापक डीट्रिच ब्रेंडिस थे।
  • 1884 ई० में Forest School of Dehradun का नाम बदलकर Imperial Forest School of Dehradun कर दिया गया।
  • 1906 ई० में Imperial Forest School of Dehradun का नाम बदलकर Imperial Forest Research institute कर दिया गया।

भारतीय वन अधिनियम 1927-

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय वन अधिनियम 1878 में का संसोधन था।
  •   भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत वनों से प्राप्त प्रत्येक उपज(पेड़) पर टैक्स लगाया जायेगा।

भारतीय वन अधिनियम 1927 में वनों को तीन भागों में बांटा गया –

1.Reserved Forest (आरक्षित वन)
2. Protected Forest (संरक्षित वन)
3.Village Forest (ग्रामीण वन)-

भारतीय वन(संसोधन) अधिनियम 2017-
  • भारतीय वन संसोधन अधिनियम 2017 के द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 में संसोधन किया गया।
  • 18 Dec 2017 में तत्कालीन पर्यावरण,वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्धन ने लोकसभा में भारतीय वन(संसोधन) अधिनियम 2017 पेश किया।
  • 26 dec 2017 को यह बिल राज्यसभा में पारित हुआ।
  • भारतीय
    वन(संसोधन)अधिनियम 2017 के तहत बांस को वृक्ष श्रेणी से हटाकर घास की
    श्रेणी में रखा गया व बांस पे लगने वाले टैक्स को समाप्त किया गया।

राष्ट्रीय वन नीति (National Forest Policy)-

भारत की पहली वन नीति लागू हुई:- 1894
उद्देश्य:- वनों से अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करना



नई राष्ट्रीय वन नीति 1952 (National Forest Policy 1952)-

  • National Forest Policy 1952 भारत सरकार द्वारा बनायी गयी पहली वन नीति थी।

उद्देश्य:-

  • वनों से अधिक उपज प्राप्त करना।
  • वनों में पशुओं के चरने पर नियंत्रण।
  • देश के कुल भू-भाग के 33% हिस्से पर वन होने चाहिये।
  • मानव निर्मित वन क्षेत्र को बढ़ावा देना।

National Forest Policy 1952 में वनों को 4 भागों में बांटा गया-

  • 1.Reserved Forest (संरक्षित वन)
  • 2. National Forest
  • 3.Village Forest
  • 4.Trea Area

राष्ट्रीय वन नीति 1988-

यह वन नीति यह राष्ट्रीय वन नीति 1952 को संसोधित करके बनायी गयी।
उद्देश्य- वनों की सुरक्षा ,संरक्षण व वन क्षेत्रों का विकास करना।

National Forest Policy 1998-
यह भारत सरकार की राष्ट्रीय वन नीति 1988 में कुछ संसोधन करके लागू की गयी।

प्रमुख बिंदु-

  • 1.जैव विविधता व वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण की रणनीति व कार्य योजना तैयार करना ।
  • 2.रिक्त एवं बंजर स्थानों में वन रोपण करके वन क्षेत्र को बढ़ावा देना।
  • 3.वन अनुसंधान व प्रोधोगिकी प्रशिक्षण को विस्तृत करना ।

उत्तराखंड राज्य वन नीति-2001

उद्देश्य-

  • 1.प्रदेश में ब्याप्त जैव विविधता व वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण व संवर्धन की रणनीति व कार्य योजना तैयार करना
  • 2.प्रदेश के वन क्षेत्र व वन उत्पादन में वृधि करना
  • 3.ग्रामीण लोगों के लिये लकड़ी, चारा व जरूरतमंद उत्पादों को बढ़ावा देना
  • 4.पर्यावरण स्थिरता एवं पारिस्थितकीय संतुलन को सुनिश्चित करना।

उत्तराखण्ड व भारत के वनों से संबन्धित प्रमुख स्थापना

  • दून में वन से संग्रहालय की स्थापना हुई:- 1914
  • उत्तराखंड में वन पंचायतों का गठन :- 1931
  • देहरादून में केंद्रीय वानिकी परिषद की स्थापना हुई:- 1948

वन महोत्सव:-

  • स्थापना- 1950
  • संस्थापक:- K.M मुंशी(तत्कालीन कृषि मंत्री)
  • उद्देश्य:- अधिक वन लगाओ अभियान
  • वन महोत्सव प्रत्येक साल जुलाई के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है।

भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड (Indian board for wildlife) की स्थापना- 1952

Wild Life Protection Act(1972)- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972-

  • वन्य जीव को प्रदेश की सूची से केंद्र की सूची में स्थानांतरित किया गया।
  • संकटग्रस्त जीवों व विलुप्त होने वाले जीवों का संरक्षण करना।

प्रोजेक्ट टाइगर(Project Tiger)-
  • स्थापना:- 1 अप्रैल 1973।
  • उद्देश्य:- बाघों को विलुप्त होने से बचाना।
  • प्रारम्भ में भारत मे 9 Tiger Reserve (बाघ अभ्यारण) थे जो कि अब बढ़कर 50 हो गये हैं।

वन संरक्षण अधिनियम 1980(Forest Conservation Act 1980):-

  • यह अधिनियम 25 अक्टूबर 1980 को लागू किया गया।
  • उद्देश्य:- Forest Area में कोई भी Non Forest Activity बिना केंद्र की अनुमति के नहीं हो सकता।

भारतीय वन सर्वेक्षण(Forest Survey Of Indian-FSI)-

  • F.S.I पर्यावरण व वन मंत्रालय के अधीन एक संस्था है इसकी स्थापना 1981 में हुई।
  • मुख्यालय- देहरादून
  • उद्देश्य:-
  • देश में वन सर्वेक्षण करना व वन संसाधनों का आंकलन करना।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण द्विवार्षिक वन स्थित रिपोर्ट तैयार करता है।
  • F.S.I ने अपनी पहली रिपोर्ट 1987 में तैयार की।

पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम-1986

  • स्थापना- 19 नवम्बर 1986
  • उद्देश्य- पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम करना।

Wild Life Institute of India (भारतीय वन्य जीव संस्थान)-

स्थापना-1982
मुख्यालय- देहरादून

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की स्थापना:- 1962

  • केंद्रीय वन आयोग (Central forest commission) की स्थापना- 1965
  • भारतीय वन सेवा आयोग (Indian Forest Services-IFS) का गठन हुआ:- 1966

मुझे उम्मीद है कि उत्तराखंड वन अधिनियम के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी। उत्तराखंड के बारे में ऐसे ही Uttarakhand Gk In Hindi की आपको बहुत सी पोस्ट JardhariClasses.Com में देखने को मिल जयेगी जिन्हें आप पढ़ सकते हैं



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