उत्तराखंड के प्रमुख नृत्य – प्रत्येक संस्कृति की तरह उत्तराखंड भी अपनी संस्कृति को विभिन्न माध्यमों से सँजोकर रखा है जिससे आने वाली भावी पीढ़ी अपनी महान संकृति एवं सभ्यता को जान सके इसी कड़ी में मुख्या रूप से भूमिका निभा रहे हैं ।
उत्तराखंड के प्रमुख नृत्य जैसे जागर नृत्य जो हमें अपने देवी देवताओं के प्रति आस्था, सर्रों नृत्य जो की एक युद्ध शैली का नृत्य है जो हमारे पूर्वजों के प्राक्रम और शौर्य के बारे में हमे अवगत करता है ।
इस लेख में आप उत्तराखंड के प्रमुख नृत्यों के बारे में जानेंगे जिसमें गढ़वाल के प्रमुख नृत्य एवं कुमाऊँ के प्रमुख नृत्य शामिल है ।
उत्तराखंड के प्रमुख नृत्य का अध्ययन हम दो भागों में करेंगे-
1.गढ़वाल के प्रमुख नृत्य
2.कुमाऊँ के प्रमुख नृत्य
गढ़वाल के प्रमुख नृत्य
1.थड़िया नृत्य-
- यह नृत्य विवाहित लड़कियों के पहली बार मायके आने पर किया जाता है।
- थड़िया नृत्य थड़(आंगन या चोक) में किया जाता है
- यह नृत्य बसंत पंचमी से लेकर बिखोती(विषुअत) संक्राति तक किया जाता है।
- इस नृत्य में थड़िया गीत गाया जाता है।
2.सर्रों नृत्य-
- यह एक युद्ध शैली का नृत्य है जो ढोल की ताल पर किया जाता है
- इसमें नर्तक तलवार ढाल लेकर नृत्य करते हैं
- भोटिया जनजाति में इसी नृत्य को ‘पोणा नृत्य’ कहा जाता है
- कुमाऊँ में इसी शैली के नृत्य को ‘छोलिया नृत्य’ कहा जाता है।
3.हारुल नृत्य-
- यह जौनसारी जनजाति का एक प्रमुख नृत्य है
- इस नृत्य में रणसिंघा(रमतुला) नामक वाद्ययंत्र अनिवार्य रूप से बजाय जाता है।
4.तांदी नृत्य-
- यह नृत्य भी जौनसारी जनजाति का प्रमुख नृत्य है
5.लांगवीर नृत्य-
- यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है
- इसमें पुरुष बांस के डंडे के शिखर पर संतुलन बनाते हैं
- लागवीर नृत्य ढोल नगाड़ों के साथ किया जाता है।
6.चोंफला नृत्य-
- यह श्रृंगार प्रधान नृत्य है
- इसमें स्त्री पुरूष एक साथ समूह में या अलग-अलग टोली बनाकर गोले में घूमते हुए नृत्य करते हैं
- इस नृत्य में किसी भी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं होता।
- चोंफला नृत्य में सामुहिक रूप से चोंफला गीत गाया जाता है।
- चोंफला नृत्य बिहू, व गरबा’ श्रेणी का नृत्य है
7.झुमैलो नृत्य-
- यह नृत्य नव विवाहित महिलाओं द्वारा मायके आने पर किया जाता है
8.चांचरी नृत्य-
- यह एक श्रृंगार प्रधान नृत्य है जो महिलाओं व पुरुषों द्वारा किया जाता है
- यह नृत्य हुड़की वाद्य बजाकर किया जाता है।
- कुमाऊँ में इस नृत्य बको ‘झोड़ा’ नृत्य कहते हैं
- चांचरी नृत्य में गाया जाने वाला गीत- चांचरी नृत्य गीत
उत्तराखंड के प्रमुख नृत्य
9.छोपति नृत्य-
- यह नृत्य रवाईं जौनपुर क्षेत्र में विशेष रूप से किया जाता है
- यह एक श्रृंगार शैली नृत्य है
- छोपती नृत्य में छोपती गीत गाये जाते हैं
10.घुघुती नृत्य-
- छोटे बालक-बालिकाओं द्वारा मनोरंजन हेतु किया जाने वाला नृत्य
11. भैला नृत्य-
- यह दीपावली(बग्वाल) के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है
- यह नृत्य दीपावली के दिन चीड़ का भैला जलाकर किया जाता है।
12.रण भूत नृत्य-
- रणभूमि
या युद्ध भूमि में वीरगति प्राप्त करने वाले ब्यक्तियों को देवता के समान
पूजा जाता है व उनकी आत्माओं की शांति हेतु यह नृत्य आयोजित किया जाता है। - इस नृत्य को ‘ देवता घिराना’ भी कहते हैं
13.पांडव नृत्य-
- गढ़वाल में महाभारत पर आधारित यह एक धार्मिक नृत्य है
कुमाऊँ के प्रमुख नृत्य
1.छोलिया नृत्य-
- यह एक युद्ध शैली का नृत्य है
- छोलिया नृत्य ढाल व तलवार के साथ किया जाता है
- गढ़वाल में इसे ‘सर्रों नृत्य’ कहा जाता है
2.भगनोल नृत्य-
- यह नृत्य मेलों में किये जाते हैं
- यह नृत्य हुड़का व नगाड़ा वाद्य यंत्र पर किया जाता है।
3.झोड़ा नृत्य-
- यह नृत्य वृताकार घेरा बनाते हुए परस्पर एक दूसरे के कंधों पर हाथ रखकर किया जाता है।
- मुख्य गायक वृत के बीच हुड़की बजाते हुए नृत्य करता है।
- झोड़ा नृत्य में गाये जाने वाले गीत- झोड़ा नृत्य
- झोड़ा नृत्य को गढ़वाल में चांचरी नृत्य कहा जाता है।
4.ढुसका नृत्य-
- यह नृत्य कुमाऊँ के मुनस्यारी(पिथौरागढ़) व जोहार घाटी में किया जाता है
- यह चांचरी व झोड़ा नृत्य शैली का ही नृत्य है
5.मुखोठा नृत्य-
- कुमाऊँ के पिथौरागढ़ में सौर घाटी में हिलजात्रा में मुखोठा नृत्य किया जाता है
- इसमें लखिया भूत का अभिनय आकर्षक का प्रमुख केंद्र है
6.हिरनचित्तल नृत्य-
- कुमाऊँ की अस्कोट पट्टी में आठूँ पर्व के दौरान हिरनचितल नामक मुखोटा नृत्य आयोजित किया जाता है
7.दन्याला नृत्य
8.चंफुली नृत्य-
कुछ अन्य नृत्य
1.जागर नृत्य-
- यह नृत्य गढ़वाल व कुमाऊँ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य है।
- यह नृत्य देवी देवताओं पर आधारित नृत्य है।
नृत्य के प्रमुख पात्र-
1.जागर(जगर्या)- जागर गीतों का ज्ञाता
2.ओजी – हुड़का,हुड़की या थाली वादक
3.पस्वा- इसपे देवी देवतायें अवतरित होती है
2.पंवाड़ नृत्य या भड़ो नृत्य-
- विशेष ऐतिहासिक वीरों की कथायें