Katyuri Dynasty In Uttarakhand – Uttarakhand Gk In Hindi – उत्तराखंड इतिहास (मध्यकाल) कत्युरी राजवंश
कुछ इतिहासकारों के अनुसार कत्यूरी राजवंश का संस्थापक वासुदेव था किंतु इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया
- बागेश्वर से प्राप्त त्रिभुवन राज शिलालेख के अनुसार कत्यूरी राजवंश का संस्थापक बंसतदेव था।
- प्रमुख इतिहासकार एटकिंसन के अनुसार कत्यूरी राजवंश की स्थापना बसन्तदेव ने की।
- कत्यूरी शासन की जानकारी हमें स्थानीय लोकगाथाओं और जागर से मिलती है।
- गोलू देवता का सम्बंध कत्युरी राजवंश से है।
- गोलू देवता के पिता – झालु राय देव(कत्युरी राजा)
- गोलू देवता की माता – रानी कलिंगा।
- गोलू देवता को कुमाँऊ में चितई गोलू देवता के नाम से भी जाना जाता है।
- राजुला- मालूशाही उत्तराखंड की प्रचलित प्रेम कहानियों में प्रमुख है।
- मालूशाही राजकुमार कत्युरी राजवंश के राजकुमार थे।
- राजुला भोट क्षेत्र चमोली की राजकुमारी थी।
- मध्यकाल में इनका शासन कमजोर हो गया और इनका राज्य कई शाखाओं में बंट गया।
- इनकी कुछ शाखाएं-कत्यूर का आसंन्तिदेव वंश ,असकोट के रजवार, कत्यूर- बैजनाथ शाखा, डोटी के मल्ल,पाली पछाऊँ शाखा, सिरा शाखा, सोर शाखा आदि।
आसंतीदेव वंश-
- आसंतीदेव वंश कत्यूरी वंश की ही एक शाखा है।
- आसंतीदेव राजवंश की स्थापना आसंतीदेव ने की।
- आसंतीदेव राजवंश की प्रारम्भ में राजधानी जोशीमठ थी व बाद में रणचूलाकोट(कत्यूर घाटी) में स्थापित की
- इस वंश का अंतिम शासक ब्रह्मदेव था।
- ब्रह्मदेव बहुत ही अत्याचारी शासक था व अपनी जनता को अनेक कष्ट देता था।
- लोकगाथाओं व जागरों में इसे वीरमदेव या वीरदेव कहा जाता है।
- जियारानी की लोकगाथा व मलफुजात ए तैमूरी(तुजुक ए तैमूरी) के अनुसार समरकंद के शासक तैमूर लंग ने 1398ई० में हरिद्वार पर आक्रमण किया व ब्रहमदेव(बहरुज) ने उसका सामना किया।
- ब्रह्मदेव आसंतीदेव वंश का अंतिम शासक था।
History Of Uttarakhand – Uttarakhand Gk In Hindi |
जियारानी की लोकगाथा –
- जियारानी को कत्युरी राजवंश की राजमाता कहा जाता है।
- इनका बचपन का नाम मोला देवी पुण्डीर था।
- जियारानी को कुमाँऊ की लक्ष्मीदेवी कहा जाता है।
- इनके पति – प्रीतम देव(पृथ्वी पाल)
- पिता – अमरदेव पुंडीर(हरिद्वार के राजा
नोट-कुछ इतिहासकारों के अनुसार बह्मदेव प्रीतम देव की बड़ी रानी का पुत्र था
रानीबाग युद्ध – रानीबाग युद्ध तैमूरलंग व जियारानी के बीच लड़ा गया जिसमें जियारानी की विजय हुई
रानीबाग में जियारानी मेला लगता है व इसी रानीबाग में जियारानी गुफा स्थित है
1191 ई० में नेपाल के राजा अशोकचल्ल ने कत्यूरी राज्य पर आक्रमण कर उसके कुछ भाग पर कब्जा किया
1223 ई० में नेपाल के शासक काचल्लदे ने कुमाँऊ पर आक्रमण करके अपने अधिकार में ले लिया।
यह भी पढ़े-
👉 उत्तराखंड में कुणिंद व कार्तिकेयपुर राजवंश
▪👉 उत्तराखंड प्रागेतिहासिक आध्यऐतिहासिक काल एवं प्रमुख लेख
Uttarakhand General Knowledge Objective Questions And Answers
Q1- कत्यूरी राजवंश के संस्थापक कौन था-
(a) बंसतदेव
(b) लखन पाल देव
(c) सुभिक्ष राज देव
(d) वासुदेव
Ans- A
Q2-आसंतिदेव राजवंश की प्रारम्भिक राजधानी थी
(a) रणचूलाकोट
(b) जोशीमठ
(c) हरिद्वार
(d) देव प्रयाग
Ans- B
Q3-कत्यूरियों की दरबारी भाषा थी –
(a) कुमाऊँनी
(b) गढ़वाली
(c) संस्कृत
(d) प्राकृत
Ans- C
Q4- गोलू देवता का सम्बंध किस राजवंश से है-
(a) चंद राजवंश
(b) कत्युरी राजवंश
(c) परमार राजवंश
(d) कुणिंद राजवंश
Ans- B
Q5-कौन कत्यूरी राजाओं की कुल देवी ‘ के रूप में पूजी जाती थी ?
(a) कामाख्या
(b) सरस्वती
(c) पृथ्वीपाल
(d) नन्दा देवी
Ans- D
Q6-तैमूरलंग ने हरिद्वार पर कब आक्रमण किया था ?
(a) 1396 में
(b) 1397 में
(c) 1398 में
(d) 1399 में
Ans- C
Q7- कुमाँऊ की लक्ष्मी बाई किसे कहा जाता है-
(a) तीलू रौतेली
(b) जियारानी
(c) रानी कर्णावती
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans- B
Q8- राजुला-मालूशाही उत्तराखंड की प्रेम कथाओं में से एक है इनका सम्बन्ध किस राजवंश से है-
(a) कत्युरी राजवंश
(b) कुणिंद राजवंश
(c) चंद राजवंश
(d) परमार राजवंश
Ans- A
Q9- “असकोट के रजवार” किस राजवंश की शाखा है-
(a) मौखरी वंश
(b) परमार वंश
(c) कुषाणों की
(d) कत्युरी वंश
Ans- D
Q10- कत्युरी वंश की राजमाता किसे कहा जाता है-
(a) तीलू रौतेली
(b) जियारानी
(c) रानी कर्णावती
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans- B
Q11- नेपाल के राजा अशोकचल ने कत्यूरियों पर कब आक्रमण किया-
(a) 1190
(b) 1192
(c) 1193
(d) 1191
Ans- D
Q12- जियारानी गुफा कहाँ स्थित है-
(a) हवाला बाग
(b) रानीबाग
(c) महाबाग
(d) इनमें से कोई नहीं
Ans- B