International Yoga Day 2020 – अंतराष्ट्रीय योग दिवस 2020
जिससे उसको शारीरिक थकावट के साथ-साथ मानसिक थकावट का भी सामना करना पड़ता है शारीरिक थकावट तो कुछ समय आराम करके दूर की जा सकती है लेकिन मानसिक थकावट का हमारे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है ।
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योग ऐसा साधन एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्य को शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी ऊर्जा स्पूर्ति व शक्ति प्रदान करता है। योग भारत की प्राचीन संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा है योग करने से मन बुद्धि एकाग्र रहती है तथा मन विचलित नहीं होता है।
International Yoga Day – अंतराष्ट्रीय योग दिवस |
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत International yog divas
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस yog diwas पहली बार 21 जून 2015 को मनाया गया । जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी।
जिसमें उन्होंने कहा ” योग भारत की संस्कृति भारत की प्राचीन परंपरा का एक प्रमुख अंग है यह मानसिक व शारीरिक तौर पर मनुष्य को शक्ति व स्फूर्ति प्रदान करता है आयें एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस world yog diwas को गोद लेने की दिशा में काम करें “ जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 jun international yoga day घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ के कई देश के नेताओं ने इसकी पहल की तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव का समर्थन किया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 – International yog divas
21 जून 2015 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस international yoga day (yog diwas) मनाया गया। भारत सरकार व योग गुरु बाबा रामदेव ने इसके लिए काफी अच्छी तैयारियां की थी। योग दिवस yog diwas का आयोजन दिल्ली के राजपथ में हुआ
yog diwas माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36000 लोगों के साथ 35 मिनट तक योग किया। योग दिवस yoga divas काफी विवादों का हिस्सा भी रहा है मुस्लिम समाज ने सूर्य नमस्कार व श्लोक जाप पर आपत्ति जाहिर की इसलिए केंद्र सरकार ने विवादों से बचने के लिए सूर्य नमस्कार व श्लोक जाप की अनिवार्यता को अधिकारिक तौर पर योग कार्यक्रम में शामिल नहीं किया।
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योग क्या है? What is Yoga in Hindi
योग संस्कृत धातु ‘युज’ से निकला है, जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा से मिलन। योग, भारत एवं नेपाल की देन है, योग yog ज्ञान की एक प्राचीन शैली है। बहुत से लोग तो योग ओर व्यायाम में अंतर ही नहीं समझ पाते हैं वे योग को एक शारीरिक व्यायाम समझ लेते हैं,
जहाँ लोग शरीर को मोडते, खींचते हैं और श्वास लेने के जटिल से जटिल तरीके अपनाते हैं। यह वास्तव इस गहन विज्ञान के सबसे सतही पहलू हैं, योग का अर्थ इन सब से कहीं व्यापक है । योग विज्ञान सम्पूर्ण जीवन को आत्मसात किया गया है।
योग भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, तिब्बत, जापान, दक्षिण पूर्व एशिया में भी फैल गया है और इस समय सारे जगत् में लोग इससे भली भाँति परिचित हैं।
योग का इतिहास – History of Yoga in Hindi
योग दस हजार साल से भी अधिक समय से प्रचलन में है। सबसे पुराने जीवन्त साहित्य ऋग्वेद में इसका उल्लेख मिलता है।
आपने श्रीमद् भागवत गीता के बारे में तो सुना ही होगा यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण ने कई बार योग शब्द का उच्चारण किया है जिसमें वह अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार करते समय उसे शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक रूप से सुसज्जित करने का प्रयास करते हैं।
इससे यह साबित होता है कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है अपितु यह शारीरिक के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी बनाए रखता है।
भगवान श्री कृष्ण जब अर्जुन को समझाते हैं तो यहां पर उन्होंने कई बार केवल योग शब्द का प्रयोग किया है जबकि कई बार योग शब्द के साथ विशेषण का प्रयोग किया गया है, जैसे हठयोग, मनोयोग, कर्मयोग, बुद्धियोग, सन्यासयोग, माहेश्वरयोग, पाशुपतयोग आदि जैसे शब्दों का बहुत बार प्रयोग किया गया है।
योग शब्द बहुत तरीके से प्रयोग किया गया है तथा प्रत्येक बार इसका अर्थ बिल्कुल ही अलग है इससे यह साफ हो जाता है कि योग शब्द को परिभाषित करना इतना आसान कार्य नहीं है अतः योग अपने आप में कोई एक शब्द नहीं है बल्कि यह संपूर्ण मानव के जीवन के सभी पहलुओं को परिभाषित करता है।
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अथर्ववेद में उल्लेख किया गया है कि संन्यासियों के एक समूह, द्वारा शारीरिक आसन जोकि योगासन के रूप में विकसित हुआ है पर बल दिया गया है,
यहाँ तक कि संहिताओं में उल्लेखित है कि प्राचीन काल में मुनियों, महात्माओं, और संतों द्वारा कठोर शारीरिक आचरण, ध्यान व तपस्या का अभ्यास किया जाता था। जिससे कि वह अपने इन्द्रयों को अपने बस में रख सकें एवं ईश्वर की भक्ति में लीन रहे।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सभी देशों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग के महत्व को समझा ओर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, तब भारत मे बहुत से लोगों ने इसे दोहरी नजर से देखा।
इसके लिए भारत सरकार ने सूर्या नमस्कार जैसा महान योग को उस कड़ी से हटा लिया गया, वास्तव में देखें तो योग सर्व समाज के लिए है किसी एक धर्म का इस पर कोई अधिकार नहीं है, योग तो मनुष्य की शारीरक, मानसिक क्षमता का विकास करता है ओर इसकी आवश्यकता प्रत्येक ब्यक्ति को होती है।
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इसके साथ ये जरूर सत्य है कि योग का विकास हजारों साल पहले भारत मे हुआ है और उस समय शायद ही किसी और धर्म का अस्तित्व रहा होगा, तो ये कहना गलत नहीं होगा कि योग विज्ञान का विकास हिन्दू धर्म या सनातन धर्म से हुआ है।
परन्तु इसका कदापि भी मतलब नहीं है कि हिंदुओं ने केवल अपने लिए ही योग विज्ञान का विकास किया, बल्कि सनातन धर्म मे तो “सर्वे भवन्तु सुखिनः” एवं “वसुधैव कुटुम्बकम” जैसे शब्दों का प्रयोग किया है।
◆राज योग Raj yog :-
राज योग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है ध्यान, पतंजलि ने राज योग को आठ भागों में विभाजित किया है जिसके कारण राजयोग को अष्टांग योग कहते है।
◆भक्ति योग Bhakti yog:-
भक्ति योग भक्ति के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है।
◆कर्म योग karm yog:-
कर्म योग सेवा के मार्ग को दिखाता है इस दुनिया में ऐसा कोई भी जीव नहीं है जो कि इससे बच सके, इस संसार में प्रत्येक जीव कर्म कर रहा है और उसके कर्म के अनुसार ही उसको फल की प्राप्ति होती है।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि आप कर्म करते जाइए और फल की चिंता ना करें क्योंकि जैसा आप कर्म करोगे फल वैसा ही आपको प्राप्त होगा इसलिए कर्म योग प्रत्येक मनुष्य को यह समझाने की कोशिश करता है कि जो कर्म आप आज कर रहे हैं यही आपके भविष्य का निर्माण कर रहे हैं, और जो कर्म अपने अतीत में किए हैं उसी का फल आज आपको मिल रहा है।
◆ज्ञान योग gyan yog:-
ज्ञान योग बुद्धि का योग है जैसे भक्ति योग मन का योग है, ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें सबसे अधिक बुद्धि की आवश्यकता होती है इसमें बहुत अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता होती है, एवं यह सब से प्रत्यक्ष योग होता है क्योंकि यहां पर ग्रंथों को पढ़ना पड़ता है अतः यह योग ऋषि मुनियों साधु संत करते हैं
●योग सभी ले लिए – Yog for all:-
योग सभी के लिए जरूरी है और यही इसकी सबसे बड़ी सुंदरता है, योग को प्रत्येक उम्र का व्यक्ति कर सकता है चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा या फिर जवान और सबको इसकी आवश्यकता भी है।
हम पहले ही यह बात कर चुके हैं योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि व्यायाम योग का एक छोटा सा अंग योग में मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य शारीरक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य सभी चीजें समाहित है, योग हमारे शरीर को बाहर से तो मजबूत बनाता ही है इसके साथ ही यह अन्दर से भी ब्यक्ति को मजबूत बनाता है।
जो व्यक्ति नित्य योग करता है उसे संसार की कोई भी बीमारी छू तक नहीं सकती, क्योंकि योग के द्वारा हमें कोई भी बाहर की दवाई लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि हमारा शरीर हमारे लिए दवा का काम करता है।
योग में प्रत्येक आसन के द्वारा हमें कुछ ना कुछ फायदा होता है अर्थात हमारे शरीर में जो भी कमी आती है उस कमी को योग के द्वारा हमारे शरीर से दूर कर दिया जाता है।
21 जून के दिन को विश्व योग दिवस के लिए चुनने की भी एक खास वजह है। 21 जून का दिन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, दरअसल यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति भी कह सकते हैं।
भारतीय संस्कृति ओर परम्पराओं के दृष्टिकोण से, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी है।
- योग मानसिक आध्यात्मिक व शारीरिक पथ के माध्यम से जीने की कला है।
- योग हमारे आंतरिक अंगों को मजबूत करता है तथा साथ ही साथ बेहतर पाचन तंत्र प्रदान करता है
- योग मन की एकाग्रता को बढ़ावा देता है वह मनुष्य की शक्ति वास सहनशक्ति को भी बढ़ाता है।
- योग करने से शरीर में लचीलापन आता है।तथा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
- योग मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
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