महाराणा प्रताप
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06 जून को वीर शिरोमणी राजपूतों का नाम रोशन करने वाले, भारत के महान योद्धा वीर महाराणा प्रताप की जयंती मनायी जाएगी।
महाराणा प्रताप केवल युद्ध कला में ही कुशल नहीं बल्कि एक कुशल राजा भी थे जिन्हें अपनी प्रजा से अताह प्रेम था एवं अपनी मातृभूमि के लिये मर मिटने का जज्बा था।
महाराणा प्रताप का जन्म सिसोदिया वंश के राजघराने में हुआ। इनके पूर्वज भी महान योद्धा तथा वीर कुशल शाशक थे जिन्हें अपनी मातृभूमि से प्रेम था।
अपनी मेवाड़ की मातृभूमि की रक्षा हेतु राणाओं के राणा महाराणा प्रताप सिंह तथा उनके पूर्वजों ने मुगलों से अनेक युद्ध लड़े और बहुत बार मुगलों जो कि बाहरी आक्रांता थे को धूल चटाई।
Maharana pratap in hindi – महाराणा प्रताप से जुड़े अनोखे तथ्य |
महाराणा प्रताप का जन्म –
महाराणा प्रताप की माताजी का नाम श्रीमती जयवंताबाई तथा पिताजी का नाम राणा उदय सिंह था। महारानी जयंताबाई पाली के सोनगरा अखैराज की पुत्री थी।
है कि जब महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था तब उनके पिता राणा उदय सिंह मुगलों से युद्ध कर रहे थे।
महाराणा प्रताप अपने बचपन से ही एक होनहार योद्धा का परिचय दे चुके थे । बाल्यवस्था से ही उन्हें अपनी मातृभूमि से अत्यंत लगाव था।
महाराणा प्रताप का जीवन –
महाराणा प्रताप के जीवन में भी प्रत्येक व्यक्ति की तरह कई उतार चढ़ाव आये लेकिन उन्होंने जीवन भर कभी भी हार नहीं मानी। महाराणा प्रताप के पिताजी राणा उदय सिंह की दूसरी पत्नी रानी धीरबाई थी जोकि अपने पुत्र कुंवर जगमाल को मेवाड़ का शासक बनाना चाहती थी। महाराणा प्रताप उन्हें अपनी माँ के समान आदर व समान देते थे लेकिन रानी धीरबाई ने महाराणा प्रताप के लिए बहुत सारे षडयंत्र रचे क्योंकि वो अपने पुत्र कुवंर जगमाल को मेवाड़ के शासक बनाना चाहती थी। महाराणा प्रताप के शासक बनने पर कुंवर जगमाल इसके विरोध में मुगलों के खेमें में शामिल हो गये थे।
महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में 11 शादियां की जिनमें उनकी प्रथम पत्नी महारानी अजबदेह पंवार थी। महारानी अजबदेह व महाराणा प्रताप का पूत्र अमरसिंह ही बाद में मेवाड़ के उत्तराधिकारी बने।
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महाराणा प्रताप व अकबर –
महाराणा प्रताप के समय भारत पर मुगलो का शासन था और उस समय मुगल शासक अकबर थे जिसने अपने शासन को भारत के अधिकांस हिस्सों पर फैला दिया था लेकिन उसकी नजर अब मेवाड़ पर थी जो कि राजपूतों का अभेद किला था। मेवाड़ राजा महाराणा प्रताप अकबर के शत्रु थे लेकिन अकबर महाराणा प्रताप से इतना भयभीत था कि कभी भी उसने महाराणा प्रताप से सामने – सामने युद्ध नहीं किया। अकबर ने कई तरीके आजमाए इसमें कई युद्ध शामिल थे जो कि अकबर ने स्वयं नही लड़े । इनमें सबसे मुख्य चर्चित युद्ध हल्दीघाटी का था।
हल्दीघाटी का युद्ध –
महाराणा प्रताप की मृत्यु –
महाराणा प्रताप की मृत्यु 15 जनवरी 1597 को हुई लेकिन इन वीर शिरोमणि प्रताप की मृत्यु की खबर सुनते ही इनका सबसे बड़े शत्रु अकबर भी रो पड़ा था क्योंकि वह अकबर था की महाराणा प्रताप के जैसा वीर इस धरती पर बार बार नहीं आते हैं।
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महाराणा प्रताप के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –
1.महाराणा प्रताप के जीते जी मुगल सेना कभी भी मेवाड़ पर अधिकार नहीं कर पाई।
2.महाराणा प्रताप के अश्व का नाम चेतक था जिसने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जान बचाई। एक नाले को पार करते हुए चेतक घायल होकर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गयी । महाराणा प्रताप ने स्वयं चेतक का अंतिम संस्कार किया।
3.हल्दी घाटी के युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप की दिनों तक जंगलो में रहे और उन्हें घास की रोटियां तक खानी पड़ी।
5.अकबर महाराणा प्रताप से इतना डरा हुआ था कि उसने कभी महाराणा प्रताप से सामने- सामने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा।
6.अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके,अकबर चाहता था कि महाराणा प्रताप उनका अधिपत्या स्वीकार करे और युद्ध की कोई भी नोबत नहीं आये, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
7.आपको यह जानकर हैरानी होगी कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था, उनका भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था, अब आप सोच सकते हैं कि वास्तव में महाराणा प्रताप कितने महान योद्धा रहे होंगे तभी तो अकबर भी उनकी इस महानता के आगे नतमस्तक था और वह उनकी बड़ी ही इज्जत करता था।
8. आपको बता दें कि महाराणा प्रताप अपने पास 2 तलवारे रखा करते थे, इतिहासकार कहते है कि महाराणा प्रताप जब भी किसी युद्ध में जाते थे तो वहां यदि शत्रु के पास तलवार नही होती थी तो वह उसे अपनी एक तलवार दे देते थे एवं उससे युद्ध करते थे। क्योकि प्रताप किसी भी निहत्थे सैनिक पर हमला नही करते थे।
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