Constitution Of India In Hindi – किसी भी देश अथवा राष्ट्र को चलाने के लिए संविधान की अति आवश्यकता होती है, भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। इस आर्टिकल में आपको संविधान सभा, संविधान सभा की बैठक, संविधान कैसे कैसे बना उसके बारे में बताया गया है
- गठन – 1946
- कुलसदस्य– 389
- ब्रिटिशभारतसेसदस्य– 296
- देशीरियासतोंसेसदस्य– 93
संविधान सभा के सदस्यों के (ब्रिटिशभारत) चुनाव
जुलाई– अगस्त 1946
यह चुनाव 296 सीटों के लिए हुए
भारतीयराष्ट्रीयकांग्रेस – 208 सदस्य
मुस्लिमलीग – 73 सदस्य
अन्य – 15 सदस्य
संविधान सभा की बैठक
पहली बैठक – 9 दिसम्बर 1946
कुल सदस्य– 207
अस्थायी अध्यक्ष– सचिदानंद सिन्हा
संविधान सभा की पहली बैठक का मुस्लिम लीग ने बहिष्कार किया
11 दिसंबर 1946-
अध्यक्ष– डॉ राजेन्द्र प्रसाद
उपाध्यक्ष– एच सी मुखर्जी
13 दिसंबर 1946-
जवाहर लाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया गया
उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकार– 22 जनवरी 1947
नोट– इसी उद्देश्य प्रस्ताव के परिवर्तित रूप से संविधान की प्रस्तावना बनी
● कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान की निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई. में किया गया। (कैबिनेट मिशन के सदस्य सर स्टेफार्ड क्रिप्स, लॉर्ड पेथिक लौरेंस तथा ए.बी. एलेक्जेंडर थे।)
“नोट: भारत के लिए संविधान सभा की रचना हेतु संविधान सभा का विचार सर्वप्रथम स्वराज पार्टी ने 1924 ई. में प्रस्तुत की।”
● संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतो के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
● मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 में संविधान सभा का चुनाव हुआ। कुल 389 सदस्यों में से प्रान्तों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए चुनाव हुए, जिन्हें विभिन्न प्रान्तों की विधानसभाओं द्वारा चुना गया। इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
● 9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई। सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चीदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अलग संविधान सभा की मांग प्रारम्भ कर दी
“नोट: हैदराबाद एक ऐसी देशी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थे।”
● प्रांतो या देशी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था। साधारणत: 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आवंटन किया गया था।
● प्रांतो का प्रतिनिधित्व मुख्यत: तीन प्रमुख सामुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था , ये समुदाय थे = मुस्लिम, सिक्ख एवं साधारण।
● संविधान सभा में ब्रिटिश प्रान्तों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया – 213 सामान्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिक्ख।
● संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी।
● संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 15 थी।
● 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
● संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरु द्वारा पेश किये गये उदेश्य प्रस्ताव के साथ प्रारंभ हुई।
● 22 जनवरी, 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां नियुक्त की। इनमे प्रमुख थी – वार्ता समिति, संघ संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति, प्रारूप समिति।
● बी.एन. राव द्वारा तैयार किये गये संविधान के प्रारूप पर विचार – विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 ई. को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर को चुना गया। प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार है –
1. डॉ. भीमराव आंबेडकर (अध्यक्ष)
2. एन. गोपाल स्वामी आयंगर
3. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
4. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
5. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
6. एन. माधव राव (बी. एल. मित्र के स्थान पर )
7. डी.पी. खेतान (1948 ई. में इसकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्णामचारी को सदस्य बनाया गया।
“संविधान सभा मेंअम्बेडकर का पहली बार निर्वाचन बंगाल से तथा देश बंटवारे के बाद उनका निर्वाचन बॉम्बे से हुआ।”
● 3 जून, 1947 ई. की योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 नियत की गयी, जिसमें 235 स्थान प्रांतो के लिए और 89 स्थान देशी राज्यों के लिए थे।
● देश-विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्तूबर, 1947 ई. को किया गया उअर 31 दिसम्बर, 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थी, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या 229 एवं देशी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी।
● प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार- विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
● संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवम्बर से 9 नवम्बर, 1948 ई. तक चला। संविधान पर दूसरा वाचन 15 नवम्बर, 1948 ई. को प्रारंभ हुआ जो 17 अक्तूबर, 1949 ई. तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान का तीसरा वाचन 14 नवम्बर, 1949 ई. को प्रारंभ हुआ जो 26 नवम्बर, 1949 ई. तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
● संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे। संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई। संविधान निर्माण कार्य में कुल मिलाकर 63,96,729 व्यय हुए।*
● संविधान को जब 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी। वर्तमान में संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।
● संविधान के कुल अनुच्छेदों में से 15 अर्थात 5,6,7,8,9,60,324,366,367,380,388,391,392 तथा 393 अनुच्छेदों को 26 नवम्बर, 1949 ई. को ही प्रवर्तित कर दिया गया , जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू किया गया।
● संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई. को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। संविधान सभा 26 जनवरी, 1950 से 1951-52 में हुए आम चुनावों के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत की अंतरिम संसद के रूप में काम किया।
“नोट: 26- जुलाई, 1947 को गवर्नर जनरल ने पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा की स्थापना की घोषणा की।”
संविधान सभा की प्रमुख समिति
क्रम संख्या | प्रमुख समिति | समिति के अध्यक्ष |
---|---|---|
1. | प्रारूप समिति (मसौदा समिति) | डॉक्टर भीमराव अंबेडकर |
2. | संघीय संविधान समिति | जवाहरलाल नेहरू |
3. | प्रांतीय संविधान समिति | सरदार वल्लभभाई पटेल |
4. | संघ शक्ति समिति | जवाहरलाल नेहरू |
5. | संचालन समिति (प्रक्रिया नियम समिति) | राजेंद्र प्रसाद |
6. | मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों संबंधी परामर्श समिति (अ) मौलिक अधिकार उप समिति (ब) अल्पसंख्यक अधिकार उप समिति | सरदार वल्लभभाई पटेल जे बी कृपलानी एच. सी. मुखर्जी |
7. | प्रक्रिया नियम समिति | राजेंद्र प्रसाद |
8. | राज्यों के लिए समिति | जवाहरलाल नेहरू |
हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, इसे बनाने में 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे और संविधान सभा के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर थे। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिसे सब जानते हैं। लेकिन संविधान को बनाने में देश की 15 महिलाओं की भी काफी अहम भूमिका रही, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। ये महिलाएं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वकील, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थीं। इनके विचारों और कार्यों की झलक संविधान में आज भी दिखती है। आइए जानते हैं इनके बारे में-
1. बेगम अयाज रसूल
वह पहली ऐसी मुस्लिम महिला थीं, जो संविधान सभा के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने मुस्लिम आरक्षण के लिए आवाज उठाई और अल्पसंख्यक नेताओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी मांग थी कि धार्मिक तौर पर अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।
2. राजकुमारी अमृत कौर
अमृत कौर महात्मा गांधी की अनुयायी थीं। वह 1927 में ऑल इंडिया वुमंस कॉन्फ्रेंस की सहसंस्थापक थीं। गांधीजी के आंदोलन दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अमृत कौर जेल गई थीं। वह सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने पर्दा प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ व्यापक अभियान भी चलाया था।
3. पूर्णिमा बनर्जी
पूर्णिमा भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का डटकर मुकाबला किया। वह सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी और विजयलक्ष्मी पंडित की तरह ही बेहद सक्रिय राजनीतिज्ञ थीं। उन्होंने जेल में ही रहकर स्नात्तक उपाधि हासिल की थी।
4. रेणुका रे
रेणुका रे ऑल इंडिया वुमंस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने महिला अधिकारों और पैतृक संपत्ति में महिलाओं के हक के लिए लड़ाई लड़ी। संविधान सभा के लिए चुने जाने से पहले वह केंद्रीय विधान सभा में बतौर महिला प्रतिनिधि चुनी गई थीं।
5. सरोजिनी नायडू
स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान सरोजिनी नायडू की भूमिका काफी अहम थी। उन्हें महात्मा गांधी बुलबुल नाम से बुलाते थे। वह किसी राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होंने 1917 में वुमंस इंडियन एसोसिएशन की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी।
6. सुचेता कृपलानी
सुचेता किसी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। वह कांग्रेस की महिला विंग की संस्थापक भी थीं। उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ स्पीच से ठीक पहले वंदे मातरम् गाया था। वह संविधान सभा की उपसमिति का हिस्सा थीं, जिसने संविधान बनाया था।
7. विजय लक्ष्मी पंडित
पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित पहली महिला थीं, जो कैबिनेट मंत्री बनी थीं। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली एशियाई अध्यक्ष थीं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह कई बार जेल भी गईं। 1939 में उन्होंने कांग्रेस दफ्तर से उस वक्त इस्तीफा दे दिया, जब ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के हिस्सा लेने का ऐलान किया था।
8. अम्मू स्वामीनाथन
ये सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता थीं। वह महात्मा गांधी की अनुयायी थीं और कई अहिंसक आंदोलनों में हिस्सा लिया था। वह संविधान सभा की सदस्य थीं। इनका मानना था कि संविधान कुछ ज्यादा ही बड़ा बन गया।
9. हंस जीवराज मेहता
ये संविधान सभा में 1946 से 1949 तक थीं। वह मौलिक अधिकारों पर बनी उपसमिति की सदस्य थीं। साथ ही सलाहकार समिति और प्रांतीय संविधान समिति की सदस्य भी रहीं। 15 अगस्त 1947 को उन्होंने आजाद भारत में पहला झंडा सभा में फहराया था। उन्होंने सर्वशिक्षा के लिए, लैंगिक समानता और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में बतौर सदस्य रह चुकी थीं और ऑल इंडियन वुमन कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष भी रह चुकी थीं।
10. दक्षिणयानी वेलायुधन
ये पहली और दलित महिला थीं, जिन्हें 1946 में संविधान सभा के लिए चुना गया था। वह 34 की उम्र में सभा में पहुंचने वाली सबसे युवा महिला थीं। वह केरल की पहली महिला थीं, जिन्होंने स्नातक उपाधि हासिल की थी। उन्होंने अनुसूचित जातियों की शिक्षा के लिए उल्लेखनीय काम किया।
11. दुर्गाबाई देशमुख
दुर्गाबाई देशमुख ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी। वह नेशनल काउंसिल ऑन वुमंस एजुकेशन की पहली चेयरमैन चुनी गईं थीं। इसे सरकार ने 1958 में गठित किया था।
12. लीला रॉय
लीला रॉय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने देश में महिलाओं की शिक्षा के लिए उल्लेखनीय काम किया। वह बंगाल से संविधान सभा के लिए चुनी गई इकलौती महिला थीं। वह प्रबल नारीवादी महिला थीं और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की करीबी थीं। उन्होंने भारत विभाजन के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
13. मालती चौधरी
मालती चौधरी ओडिशा से संविधान सभा में पहुंची थीं। वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं। महात्मा गांधी ने इसी चलते उनका नाम ‘तूफानी’ रख दिया था। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समेत वंतिच समूहों के उत्थान के लिए बेहतरीन कार्य किया।
14. एनी मैसकरीन
स्वतंत्रता संग्राम के लिए एनी मैसकरीन ने अपना जीवन दांव पर लगा दिया था। केरल की रहने वाली एनी पहली महिला थीं, जिसने त्रावणकोर स्टेट कांग्रेस में हिस्सा लिया। बाद में वह केरल से पहली महिला सांसद भी बनीं।
15. कमला चौधरी
कमला चौधरी भी संविधान सभा में शामिल 15 महिलाओं में से थीं। उन्होंने भी संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई !!
1. जवाहरलाल – नेहरू कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष, विदेशी मामले तथा राष्ट्रमंडल
2. बल्लभ भाई पटेल – गृह, सूचना तथा प्रसारण
3. बलदेव सिंह – रक्षा
4. जान मथाई – उद्योग तथा आपूर्ति
5. सी. राजगोपालाचारी – शिक्षा
6. सी. एच. भाभा – कार्य, खान एवं बन्दरगाह
7. राजेन्द्र प्रसाद – खाद्य एवं कृषि
8. आसफ अली – रेलवे
9. जगजीवन राम – श्रम
मंत्रिमंडल में शामिल मुस्लिम लीग के सदस्य (26 अक्टूबर, 1946 ई.
10. लियाकत अली खाँ – वित्त
11. आई. आई. चुन्दरीगर – वाणिज्य
12. अब्दुल रब नश्तर – संचार
13. जोगेन्द्र नाथ मंडल – विधि
14. गजान्तर अली खाँ – स्वास्थ्य
स्वतंत्र भारत का पहला मंत्रिमंडल
1. जवाहर लाल नेहरु
● प्रधानमंत्री, राष्ट्रमंडल तथा विदेशी मामले, वैज्ञानिक शोध विभाग
2. सरदार बल्लभ भाई पटेल
● गृह, सूचना व प्रसारण, राज्यों के मामले
3. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
● खाद्य एवं कृषि विभाग
4. मौ. अबुल कलाम आजाद
● शिक्षा विभाग
5. डॉ. जॉन मथाई
● रेलवे एवं परिवहन
6. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
● विधि
7. जगजीवन राम
● श्रम विभाग
8. सरदार बलदेव सिंह
● रक्षा विभाग
9. राजकुमारी अमृतकौर
● स्वास्थ्य विभाग
10. सी. एच. भाभा
● वाणिज्य
11. रफ़ी अहमद किदवई
● संचार
12. आर. के षणमुगम शेट्टी
● वित्त
13. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
● उद्योग एवं आपूर्ति
14. वी. एन. गाडगिल
● कार्य, खान एवं उर्जा