वीर सावरकर से जुड़े 13 अनोखे तथ्य – Veer Savarkar Important Fact – Jardhari

Veer Savarkar वीर सावरकर 

Veer savarkar जयंती 28 मई 2019, वीर सावरकर
सदियों से भारत वीर क्रांतिकारियों, महापुरुषों की जन्म भूमि रही है यहां बहुत से क्रांतिकारियों ने जन्म लिया तथा अपने प्राणों के मोह किए बिना भारत मां के लिए अपने बलिदान को समर्पित किया।
इन महापुरुषों की संख्या करने लगे तो इन के लिए किताबें कम पड़ जाएंगे लिखने के लिए, यह हमारे देश की महानता ही है कि यहां पर बहुत से अनेक प्रकार के लोग जिनकी वेशभूषा, रंग, जाति, धर्म अलग-अलग होने के बावजूद भी हम सब यहां पर एक साथ रहते हैं।
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                                 लेकिन बहुत से ऐसी क्रांतिकारी भी हुए हैं जो कि हमारे इतिहास में दफन हो गए हैं जबकि उन्होंने भारत माता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया है हम बात कर रहे हैं यहां पर veer savarkar वीर सावरकर की जो  भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई और भारत में हिंदूत्व का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर vinayak damodar savarkar को जाता है, सावरकर savarkar एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनका नाम भारतीय इतिहास की स्वतंत्रता लड़ाई में सबसे विवादास्पद है जहां कुछ लोग उन्हें बहुत बड़ा राष्ट्रवादी कहते हैं वही बहुत लोग उनके विचारों से बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते।

Veer Savarkar वीर सावरकर जयंती 2019,
Veer Savarkar वीर सावरकर जयंती 2019,

वीर सावरकर का जीवन परिचय 

veer savarkar वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गांव में हुआ। उनके पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर एवं माता का नाम राधाबाई था उनके पिता गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे।जब विनायक 9 साल के थे, तब ही उनकी माता का देहांत हो गया था।




     उनका पूरा नाम vinayak damodar savarkar विनायक दामोदर सावरकर था। वे बचपन से ही  पढ़ाकू थे। बचपन में वे कुछ कविताएं भी लिखते थे। उन्होंने शिवाजी हाईस्कूल, नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की।
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वे रूसी क्रांतिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे। लंदन में रहने के दौरान savarkar सावरकर की मुलाकात लाला हरदयाल से हुई, मदनलाल धींगरा को  फांसी दिए जाने के बाद उन्होंने ‘लंदन टाइम्स’ में भी एक लेख लिखा था। उन्होंने धींगरा के  लिखित बयान के पर्चे भी बांटे थे।
    1909 में लिखी पुस्तक ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857’ में सावरकर ने इस लड़ाई को  ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई घोषित किया।

    Veer Savarkar वीर सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल में रहे। 1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3  साल जेल भेजे गये। जेल में हिन्दुत्वपर शोध ग्रंथ लिखा। 1937 में वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष  चुने गए। 1943 के बाद वे दादर, मुंबई में रहे।

भारत के इस महान क्रांतिकारी का 26 फरवरी 1966 को निधन हुआ। उनका संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए बीता।
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वीर सावरकर Veer Savarkar को दो जन्मो की सजा    

ब्रिटिश (अंग्रेज) वीर सावरकर Veer Savarkar से इतनी डरी हुई थी कि उन्होंने सावरकर को दो जन्म की आजन्म सजा सुनाई थी और इस पर सावरकर जी ने कहा था कि चलो आज तो अंग्रेजों ने माना कि पुनर्जन्म होता है, क्योंकि अंग्रेजों का धर्म ईसाई था और इसाई धर्म में पुनर्जन्म को नहीं माना गया लेकिन ब्रिटिश सरकार वीर सावरकर से इतनी डरी हुई थी वह वीर सावरकर Veer Savarkar को भारत की धरती से दूर रखने का भरपूर प्रयास कर रही थी।

वीर सावरकर के बारे में रोचक तथ्य

  1. वीर सावरकर Veer Savarkar पहले क्रांतिकारी ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और उन्होंने कहा कि वो हमारे देश की नहीं बल्कि शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष की मृत्यु पर ब्रिटेन में कभी शोक सभा हुई है?
  2. वीर सावरकर Veer Savarkar पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह के उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ।
  3. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली इसलिए उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया।
  4. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर Veer Savarkar ने जलाई थी |
  5. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र ‘इन्डियन ओपीनियन’ में गाँधी ने निंदा की थी |
  6. वीर सावरकर Veer Savarkar पहले ऐसे देशभक्त लेखक थे जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध ban लगा रहा |
  7. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक writer थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः’ अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है |
  8. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रान्तिकारी व्यक्ति थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय 8 जुलाई 1910 को समुद्र में कूद गए थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे |
  9. सावरकर Veer Savarkar पहले क्रान्तिकारी व्यक्ति थे जिनका मुकदमा अंतरास्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस आपस मे मिले होने के कारण सावरकर को न्याय नही मिला सका और उन्हें बंदी बनाकर भारत लाया गया |
  10. वीर सावरकर Veer Savarkar विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी |
  11. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले- “चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को तो मान लिया”
  12. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा के समय 10साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला |
  13. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा परन्तु समकालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र को नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया।

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