महाशिवरात्रि – जानें क्यों मनायी जाती है महाशिवरात्रि , Mahashivratri-jane kyo mnayi jati hae maha shivratri)

महाशिवरात्रि
 महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है ,यह त्योहार पूरे विश्व में जहां जहाँ हिंदू रहते हैं हर जगह बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है यह भगवान भोलेनाथ का प्रमुख पर्व है यह पर्व फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है । 2019 में यह पर्व 4 मार्च 2019 सोमवार को मनाया जा रहा है प्रत्येक साल में 12 शिवरात्रि होती है उनमें से महाशिवरात्रि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि – 

पौराणिक कथाओं व लोगों की  मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि मनाई जाने के कई मत प्राप्त होते हैं हिंदू पुराणों में महाशिवरात्रि मनाई जाने की कई वजह बताई जाती हैं –

1. एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तो इसमें देवताओं और राक्षसों ने भाग लिया था समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न प्राप्त हुए थे उनमें से एक हलाहल नामक विष उत्पन्न हुआ यह विष संपूर्ण सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता रखता था। इसको संपूर्ण ब्रह्माण्ड में कहीं भी गिरा दिया जाता तो यह संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था तब देवताओं और राक्षसों ने आराध्य देव त्रिनेत्रधारी शिव भगवान का आवाह्नन  किया भगवान शंकर ने इस विष को पीकर अपने कंठ में इसे रोक दिया था इसके प्रभाव से भगवान शिव का कंठ  नीला पड़ गया था इसलिए भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है ।

इसके प्रभाव में भगवान शिव आहत हो गए तब देवताओं व चिकित्सकों ने भगवान शिव को रात भर जागने की सलाह दी थी। इस पकारण भगवान शिव के सभी भक्तों ने रात भर शिव भगवान को जगाते रहने के लिए भजन कीर्तन व नृत्य करने लगे इसी कारण आज भी लोग शिवरात्रि की रात शिव की पूजा करते हैं रात भर सोते नहीं है इस दिन शिव भक्त उपवास भी रखते हैं।

एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार संपूर्ण सृष्टि का शुभारंभ इसी दिन हुआ था ।
इस दिन भगवान शंकर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसी कारण इस दिन शिव लिंग की पूजा की जाती है व महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

तीसरी कथा के अनुसार माना जाता है इस दिन भगवान शिव व पार्वती का विवाह हुआ था और इस दिन शिव व शक्ति का संगम हुआ ।

महाशिवरात्रि व्रत – 

 महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त उपवास रखते हैं सुबह उठकर स्नान करके शिव नाम का जाप करके किसी नजदीकी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं तथा व्रत लेने का संकल्प रखते हैं ,  शाम को शिव की विशेष पूजा की जाती है व रातभर शिव पूजा करने की कोशिश करते हैं ।

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