Dobra Chanti Pul |
जब भी आप टेहरी डैम में घूमने आयें Dobra Chanti Suspension Bridge को जरूर घूमें तो डोबरा चांटी पुल से पहले आपको टिहरी बाँध के बारे में बताते हैं।
Tehri Dam – टिहरी बाँध
टिहरी बाँध उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित टिहरी विधुत परियोजना का एक प्राथमिक बांध है जो लगभग 42 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह बाँध हिमालय की दो महत्वपूर्ण नदी भागीरथी तथा भिंलगना के सगंम स्थान पर बना हुआ है। इसे स्वामी राम तीर्थ सागर बाँध भी कहते हैं।
यह स्थान अत्यन्त सुन्दर है इसीलए यहाँ देश – विदेश से पर्यटक आते रहते हैं। यहाँ की हरियाली तथा ठण्डी हवा सभी पर्यटकों का मन मोहने वाली है। इस झील निर्माण के लिए पुरानी टिहरी जिसे त्रीहरी नाम से भी जाना जाता था, कहा जाता है कि यह वही पवित्र स्थान है जहाँ त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश स्नान किया करते थे जिसका वर्णन स्कन्द पुराण में भी मिलता है।
इस पवित्र स्थान में स्थित निवासियों को अनेकों बलिदान देना पड़ा सरकार के आदेश से यहाँ के लोगों को अपना मूल स्थान छोड़कर अन्य शहरों जैसे नयी टिहरी, देहरादून आदि स्थानों में बसना पड़ा अपने घरबार छोड़ने का दुःख दर्द आप समझते ही होंगे उसकी कोई कीमत नहीं दे सकता।
टिहरी बाँध निर्माण के बाद सबसे ज्यादा परेशानी यदि किसी ने सही है तो वह प्रतापनगर क्षेत्र एवं उत्तरकाशी शहरों के कई इलाके जैसे कि गाजणा पट्टी, जहाँ के गाँव अलग -थलग पड़े हैं । इन इलाकों में करीब ढाई लाख लोगों की आबादी है इन लोगों को कई तरह की विषम परस्थितयो से जूझना पड़ता है साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यक सुविधाओं की परेशानियों से भी गुजरना पड़ता हैं।
Dobra Chanti Suspension Bridge – डोबरा चांटी पुल
अलग-थलग पड़े इन इलाको को जोड़ने तथा यहाँ की परेशानियों का हल निकालने के लिये उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले में स्थित टिहरी झील पर भारत का सबसे लंबा सस्पेशन डोबरा चांटी पुल तैयार किया गया।
इस पुल का निर्माण कार्य सन् 2006 से प्रारभ हुआ और इस वर्ष सन् 2020 में इस कार्य का समापन हुआ।
इस ब्रिज की लम्बाई 440 मीटर तथा चोड़ाई लगभग 7 मीटर है।
भारत के सबसे लम्बे मोटरेवल सिंगल लेंन झूला पुल की विशेषतायें –
लोहा गर्मी में फैलता है और सर्दीयों में अर्थात कम तापमान में सिकुड़ता है इसी प्रकति के कारण डोबरा चांटी पुल भी 90 सेमी तक दोनों कोनों से फैलेगा और सिकुड़ेगा परन्तु इस हलचल से पुल पर कोई असर नही पड़ेगा क्योंकि इस हलचल से पुल प्रभावित न हों इसके लिए कुछ सुरक्षा उपाय भी किये जा चुके हैं।
इसके दोनों और मॉड्यूलर एक्सपेंशन ज्वांइट इसको सुरक्षित रखने के मकसद हेतु लगाये जा रखें हैं।
डोबरा में हवा की रफ्तार भी तेज है विशेषकर गर्मीयों में यहाँ पर 70 से 100 किलोमीटर /घण्टा की रफ्तार से हवा चलती है, इस तेज हवा को सहने के लिये इस पर 8 शॉक आब्जर्वर भी लगा रखें हैं वैसे तो पुल की छमता 150 किलोमीटर/घण्टा की रफ्तार से चलने वाली वायु को सहने की है। इसे कसने के लिये 2 लाख से ज्यादा नेट-बोल्ट भी लगाये जा रखें हैं।
पैदल आवाजाही करने वाले लोगों के लिए दोनों तरफ 75-75 सेमी- चोड़ाई के फुटपाथ भी बना रखें हैं।
पुल के ऊपर एक बार 18 टन छमता तक के लोडेड वाहन ही जा सकेंगे इसीलए विशेष डिवाइस और रेड सिगनल वाहनों की छमता को आँकने के लिए लगाये जा रखें हैं ,इसी डिवाइस के माध्यम से इसके ऊपर 18 टन से ज्यादा भार के वाहनों की आवाजाही रोकी जा सकेगी।
डोबरा चांटी पुल निर्माण से होने वाले फायदे
इसी के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के हालतों में भी सुधार होगा।
प्रतापनगर जाने के लिए लोगों को पीपल डाली और भैल्याना रोड जैसे लम्बे रस्ते से जाना पड़ता था परन्तु पुल निर्माण के उपरान्त अब नयी टिहरी से दोबरा चांटी पुल पार कर प्रतापनगर पहुँचा जा सकता हैं। और सिर्फ डेढ़ घण्टे में ही सफर तय किया जा सकता हैं।
Dobra Chanti Bridge Cost
इस पर लगभग तीन अरब रुपये खर्च हो चके हैं। IIT समेत कई अन्य संस्थाओं के असफल हो जाने के पश्चात प्रतापनगर के लिये ऐतिहासिक माने जा रहे इस पुल की रिपेयरिंग कोरियन कंपनी द्वारा की गई।
मुझे उम्मीद है कि डोबरा चांटी पुल उत्तराखंड – Dobra Chanti Pul के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
इस वेबसाइट में आपको ऐसे ही और जानकारी देखने को मिलेगी । यदि आप किसी और
चीज के बारे में जानना चाहते हैं तो COMMENT कीजिये हम जल्दी ही आपको वह
जानकारी Provide करा देंगे।